मध्यप्रदेश छतरपुर जिले के बडा़ मलहरा ब्लॉक अन्तर्गत आने वाले अंगरौठा गांव में पानी संस्था द्वारा जल सहेली नाम से महिलाओं का ग्रुप बनाया गया और उनको लालच दी गई कि उनके खातों में मजदूरी का पैसा डाला जाएगा उनके गांव में पानी की समस्या है तो वह पहाड़ी को काटकर नहर बनाएं और तालाब में जोड़े जिससे बरिश के समय पहाडों से आने वाला पानी तालाब में इकट्ठा होगा और उनके गांव की पानी की समस्या दूर हो जाएगी, उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने लगेगा।
इस काम को करने के लिए लगभग ढाई सौ महिलाओं ने 18 महीने पहले जी जान लगाकर कड़ी मेहनत की और पहाड़ी को खोदकर नहर बनाई और तालाब में जोड़ा जिससे कि पहाड़ों से आने वाला पानी तालाब में इकट्ठा हो सके इस काम को करने के बाद जिस गांव को लोग जानते नहीं थे। उस गांव कि महिलाएं जल सहेलियों के नाम बहुत फेमस हुआ औऋ गांव भी फेमस हो गया। यह खबर आग की तरह फैल गई।
जिस संस्था की लीडर ने इस काम को करवाने का बीड़ा उठाया था उसको तो इससे महिलाओं का कहना है कि काफी फायदा हुआ खुब वाहवाही लुटी,लेकिन जो महिलाओं को लालच दिया गया था कि उनको मजदूरी मिलेगी वह झूठा साबित हुआ उनके खातों में ₹1 भी नहीं आया और वह आज मायूस है।
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जब हमने इस मामले पर कवरेज किया तो महिलाओं ने बताया कि इस पहाड़ी को खोदकर नहर बनाने से पानी की समस्या तो कुछ हद तक दूर हुई क्योंकि तालाब हमेशा सूखा बना रहता था बरसात के समय ही थोड़ी बहुत पानी रहता था, लेकिन जब से पहाड़ी खोदी तो इस साल बारिश भी कम हुई है लेकिन फिर भी अभी तक तालाब में थोड़ा बहुत पानी है। पर जो लालच उन्हें दिया गया था जिसके कारण वह अपना घर का कामकाज छोड़कर कड़ी धूप में गांव से लगभग 3 किलोमीटर पैदल चलकर जंगल के बीच पहाड़ी में आती थी और पूरे दिन खुदाई करती थी उसके पत्थर हटाती थी क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके काम की मजदूरी मिल जाएगी जिससे उनके बच्चों का भरण पोषण हो सकेगा चार पैसे उनके हाथ में रहेंगे और गांव का विकास तो होगा ही वह नहीं हुआ।
संस्था द्वारा उन्हें कहा गया था कि उनको बीज वगैरह भी मिलेगा पानी के सिंचाई का जब साधन हो जाएगा और मजदूरी का पैसा भी मिलने लेकिन ऐसा नहीं हुआ महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पहाड़ी को काटकर नहर बस नहीं बनाई उन्होंने वहां पर पेड़ पौधे लगाने के लिए खुदाई की पेड़ पौधे लगाए और महीनों पेड़ पौधों की देखरेख की सिंचाई की ताकि पौधे भी वहां पर हरे भरे हो जाएं तो उनसे सुंदरता भी बढ़ेगी। जबकि उनके परिवार वाले काम पर जाने से मना कर रहे थे, लेकिन वह उस काम को करने के लिए परिवार से भी झगड कर काम पर गई।
पर आज उन्हें अहसास हो रहा है कि उनके काम का कोई मोल नहीं मिला जो लीडर थी उन्हें तो प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया ₹51000 दिए गए लेकिन जिन महिलाओं ने मेहनत की उनको एक रुपए नहीं दिया गया महिलाओं का कहना है कि अगर उसको ₹51000 मिले हैं तो कम से कम वह हजार- हजार पांच ₹500 ही मेहनत करने वाली महिलाओं को देती तो उन्हें भी खुशी होती। पर उन्होंने मेहनत तो की लेकिन वाहवाही और इनाम सिर्फ एक को मिला है।
तो वहीं पानी संस्था की लीडर बबीता की मां कहती है कि पैसे के लेनदेन की कोई बात नहीं हुई थी जो भी संस्था से सामान मिला है चावल गेहूं तेल वगैरह तो सब महिलाओं को एक बार दिया गया है एक बार सिंगार का सामान दिया गया है ऐसा नहीं है कि बिना दिए कुछ काम कराया गया है और महिलाओं ने खुशी-खुशी जाकर काम किया है किसी से जबरदस्ती नहीं की गई है।
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