जब खाने को नहीं तो कैसे मनाएं अफ्तारी, सुनिए लोगों की जुबानी कैसे सूना पड़ा रमज़ान :पूरे विश्व के साथ साथ हमारा देश भी कोरोना की महामारी जैसी बिमारी से जूझ रहा है ऐसे मे पूरा देश लाँकडाऊन है और जरूरत की चीजों की दुकानें समय समय से खुलती है लेकिन बहुत सी चीजें हैं जो त्योहार के टाइम ही बाहर से आती है और बिकती है लोग जरूरत के हिसाब से रोज का या दो चार रोज खरीदते हैं जैसे की मुस्लिम समुदाय मे सबसे ज्यादा खर्च और इबादत का महिना रमज़ान माना जाता है हैसियत के हिसाब से लोग खर्च करते हैं हर घर मे आफतार के वख्त शाम मे मगरिब के टाइम दस्तरख्वान सज जाते हैं लोग आफतार बनाने के लिए दोपहर जो़हर की नमाज तैयारी शूरू करते थे लाँकडाऊन मे इस साल लोगों के दस्तरख्वान सुने हैं लोगों के पास दो वख्त खाने को नहीं तो वो आफतार कैसे बनाएंगे लोगों ने बताया की हमारे पास इतना नहीं जो हम पेट भर खा सके कुछ लोग तो मांग कर खा रहे हैं कुछ लोगों का काम ही नहीं चल रहा और ऐसे भी लोग हैं जो न मांग सकते हैं न कह सकते हैं कही महिलाओं का काम भी बढ गया है | इस बरकत और इबादत के महीने में जब बाज़ारें रौशन रहा करती थी मुस्लिम समुदाय के साथ साथ हर समुदाय खूब जम कर खरीद दारी करते थे लेकिन इस साल तो सड़को और बाज़ारों में सन्नाटा पसरा हुआ है सब कुछ वीरान हो गया है