पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिपण्णी के बाद नूपुर शर्मा को भाजपा से निलंबित कर दिया गया। 22 जून को मुंब्रा पुलिस ने कथित टिप्पणी पर बयान दर्ज़ कराने के लिए नूपुर शर्मा को नोटिस भेजा है।
नूपुर शर्मा (भाजपा नेता) ने एक टीवी शो के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिपण्णी कसी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि यूपी के कानपुर में विवादित बयान ने हिंसा का रूप ले लिया। अन्य देशों द्वारा कड़ी आलोचना व हिंसा के बाद भाजपा ने नूपुर शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्य्ता से बर्ख़ास्त कर दिया। हालांकि, अपने बयान के बाद नूपुर शर्मा ने ट्वीट करते हुए सबसे माफ़ी भी मांगी थी।
निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा को मुंब्रा पुलिस ने 22 जून को पेश होने के लिए आज मंगलवार को नोटिस भेजा है ताकि पैगंबर मोहम्मद पर उनकी कथित टिप्पणी पर उनका बयान दर्ज कराया जा सके।
इसके साथ ही भारतीय दूतावास ने अपने एक बयान में कहा कि भारत सरकार “सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देती है”।
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संवेदनशील बयान वाले नेताओं की बनी लिस्ट
धार्मिक टिप्पणी के बयान के बाद भाजपा ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले अपने 38 नेताओं की लिस्ट ज़ारी की है जिसमें से 27 नेताओं को भड़काऊ और विवादास्पद बयान देने से बचने के लिए चेतावनी दी गयी है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, नेताओं से यह कहा गया है कि वे धार्मिक मुद्दों पर कोई भी बयान देने से पहले पार्टी से इज़ाज़त लें।
जानकारी यह है कि भाजपा ने आईटी की मदद से पिछले 8 सालों में भाजपा नेताओं द्वारा जो भी विवादास्पद और दूसरे की भावनाओं को आहत करने वाले बयान दिए हैं, उनकी एक पूरी लिस्ट बनाई है। इसमें कुल 5200 बयान गैर-ज़रूरी तो वहीं 2700 बयानों के शब्द संवेदनशील पाए गए हैं। इसके साथ 38 नेताओं के बयान को धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले वर्ग में रखा गया है।
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अन्य देशों ने करी धार्मिक बयान की निंदा
नूपुर शर्मा के टीवी पर दिए विवादित बयान के बाद विशेष रूप से यूएई, कतर, इंडोनेशिया, कुवैत, ओमान, बहरीन, अफगानिस्तान, सऊदी अरब और पाकिस्तान आदि देशों ने बयान की निंदा की है।
रविवार को कतर ने निलंबित भाजपा नेता की टिप्पणियों के संबंध में भारतीय दूत को तलब किया और भारत सरकार से ‘सार्वजनिक माफी’ की मांग की।
नूपुर शर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़
धार्मिक बयान के मामले में मुंबई के पायधुनी पुलिस स्टेशन में 29 मई 2022 को नूपुर शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 153 ए (शत्रुता को बढ़ावा देना) और 505 बी के तहत प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज की गई थी। यह रिपोर्ट भारतीय सुन्नी मुसलमानों के सुन्नी बरेलवी संगठन रज़ा अकादमी की शिकायत के बाद दर्ज़ की गयी। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने भी भाजपा नेता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ की है।
इस्लामिक सहयोग संगठन की धार्मिक बयान पर टिप्पणी
जानकारी के अनुसार, विवादित बयान सिर्फ निंदा तक ही नहीं रुका बल्कि कुवैत की कुछ बड़ी दुकानों ने भारतीय सामानों पर भी रोक लगा दी। इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने भारत की आलोचना करते हुए मुसलमानों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की मांग की। भारत ने संगठन के इस बयान को संकीर्ण बताते हुए कहा कि कुछ लोगों की टिप्पणी भारत सरकार के विचारों को प्रदर्शित नहीं करती।
देखा जाए तो भाजपा नेताओं द्वारा आहत करने वाले धार्मिक बयान का यह कोई पहला मामला नहीं है जो की आईटी की रिपोर्ट में भी साफ़ दिखता है। अब ऐसे में सवाल यह है कि इन सभी नेताओं को सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा या उन पर कोई और कड़ी कार्यवाही भी की जायेगी। इसके साथ ही वर्तमान में ऐसा न हो उसके लिए बीजेपी सरकार ने क्या सोचा है? अगर वर्तमान में फिर कोई नेता धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बयान देता है तो उनके खिलाफ किस तरह की कार्यवाही की जायेगी?
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