विश्व निमोनियां दिवस हर वर्ष 12 नवम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्वभर में लोगों के बीच निमोनिया के प्रति जागरूकता फैलाना है। पहला विश्व निमोनिया दिवस 12 नवम्बर 2009 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा विश्वभर में मनाया गया था।
हमनें चित्रकूट जिले के गाँव की रिपोर्टिंग की जहाँ पाया गया की काफी संख्या में निमोनियां के मरीज हैं। अस्पताल भी कुछ मीटर की ही दुरी पर है लेकिन वहां डॉक्टर की टीम नहीं पहुंची है। आशा, एनम, आंगनबाड़ी इनकी ड्यूटी होती है की मरीजों की देखभाल करें लेकिन गाँव वालों के अनुसार उन्हें कोई जानकारी ही नहीं दी जाती तभी तो इतना दिनों से बीमार हैं। कभी अस्पताल तो कभी मेडिकल स्टोर से दवाएं लेकर खाते हैं दो चार दिन आराम होने के बाद फिर वैसी ही हालात हो जाती है।
निमोनियां एक संक्रमण से होने वाली बिमारी है है जो एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों को द्रव या मवाद से भरकर सुजा देता है। जिससे बलगम या मवाद वाली खांसी, बुखार ठण्ड लगना और साँस में तकलीफ हो सकती है। निमोनियां साधारण से जानलेवा हो सकता है। यह शिशुओं, युवा बच्चों, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग स्वास्थ्य समस्या या कमजोरी वाले लोगों के लिए ज्यादा हानिकारक होता है।
निमोनिया के लक्षण-
बलगम वाली खांसी, बुखार (कंपकंपी भी हो सकती है) साँस लेने में कठिनाई या तेजी से सांसे लेना, सीने में दर्द या बेचैनी, भूख कम लगना, उलझन, कम रक्तचाप, खांसी में खून आना, धड़कन की तेजी, उलटी ये सब निमोनियां के लक्षण हैं अगर ऐसा महसूस हो तो डॉ. को जरुर दिखायें।
वर्ष 2010 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल भारत में
3.5 लाख बच्चे निमोनिया से मरते हैं।
जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (आईवीएसी) की रिपोर्ट के मुताविक
भारत में 2016 में 158,176 बच्चों की मौत निमोनिया से हुई है।