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सर्द रात में पन्नी डालकर गुजारा कर रहे लोग

आवास योजना का लाभ न मिलने की वजह से कई ग्रामीण परिवार सर्दी में पन्नी डालकर रह रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवास उपलब्ध कराने की महत्वपूर्ण योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। सरकार भले ही दावा करती हो कि जो परिवार कच्चे घरों में, या झुग्गी बनाकर रह रहे हैं उन्हें पक्का मकान दिया जाएगा लेकिन मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के ब्लॉक जतारा गांव लार खुर्द में आज भी लोग कच्चे घरों पर पन्नी डालकर रहने के लिए मजबूर हैं।

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एक घर में कई लोग का रहना मुश्किल

अमती सपेरे ने बताया कि हमारे घर में छह बच्चे हैं और एक छोटा सा कच्चा घर है उसी में रहकर गुजारा करते हैं। सबसे ज्यादा बरसात के मौसम में परेशानी होती हैं। एक ही घर में रहना और उसी में घर का सारा सामान बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अमती बताते हैं कि उनके गाँव में लगभग 35 घर हैं जिसमें से आठ नौ लोगों का आवास बन गया है। आलम यह है कि जिनके पास आवास नहीं है कई बार बैठे-बैठे रात गुजारना पड़ता है। कोई मेहमान आ जाए या कोई कार्यक्रम हो तो उन्हें कहाँ बिठाएं यह प्रश्न उनके दिलो दिमाग में घूमता रहता है।

सर्द मौसम में बैठे-बैठे बीत रही रात

गांव लार खुर्द के रहने वाले पप्पू सपेरे का कहना है कि उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। कई बार विभागों में आवेदन दिया जिसमें कम से कम दो हजार रुपये भी खर्च हो गये हैं लेकिन आवास नहीं मिला है। कच्चे घरों में रहने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैसे बरसात में पन्नी से पानी टपकना, गर्मी के दिनों में पन्नी से बहुत गर्म हवा निकलती है और ठण्ड में रात में पड़ने वाली ओस से बहुत ज्यादा ठण्ड लगती है।

लोगों ने बताया कि उन्होंने गाँव में एक बड़ा चबूतरा बनवाने की भी मांग की थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई। वह चाहते हैं कि चबूतरा बन जाए तो उनके पास बड़ा घर नहीं है या बारात घर में देने के लिए पैसे नहीं हैं तो वह शादी विवाह में बारातियों को चबूतरे पर भी बिठा सकते हैं।

जशोदा कहती हैं कि उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है न ही खेती है कि उसमें फसल उगाकर पैसा इकठ्ठा कर सकें। खाने के लिए ही सोचना पड़ता है कि पैसा कहाँ से आये और घर का सामान खरीद पायें। ऐसे में वह घर बनवाने का सोच नहीं सकती। प्रधान से ही उम्मीद है कि वह आवास दिला दें।

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घर गिरने का सता रहा डर

इसी गाँव की निवासी भानिया नाथ सपेरे का कहना है कि हमारे तीन लड़के हैं और दो हम पति-पत्नी हैं। 5 लोग एक घर में नहीं रह सकते इसलिए एक छोटी सी पन्नी डाले हैं उसी में रहते हैं। अगर हम लोगों के पास पैसा होता तो पक्का बना लेते। हम चाहते हैं कि हमें आवास योजना का लाभ मिले जिससे हमारे बच्चे और हम सही सलामत रह सकें।

फूलसिंह नामदेव सचिव ग्राम पंचायत लार खुर्द से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिन लोगों के 2011 की सूची में नाम थे उनके आवास बन चुके हैं। जसोदा सपेरा, अमती को पहले आवास योजना का लाभ दिया गया है। उनके लड़कों को नहीं मिला है जिसकी वह मांग कर रहे हैं। उनका सूची में नाम नहीं है जब शासन द्वारा नई सूची प्राप्त होगी तो उनको आवास योजना का लाभ ज़रूर दिया जाएगा।

इस खबर की रिपोर्टिंग रीना द्वारा की गयी है।

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