मीना सिंह कहती है – “यहां के लोग भड़के हुए हैं सरकार कुछ करती नहीं है। राशन, पानी, बिजली की समस्या है। रगोली भटपुरा गांव से खाली पेटी जाएगी। यहां कोई वोट नहीं देने जाएगा। यहां से 1 किलोमीटर पर नहर है फिर भी सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं है। निजी ट्यूबवेल है उससे उतना कर नहीं पाते। प्रत्याशी आर के पटेल आए थे सड़क के किनार से ही चले गए, गाड़ी से उतरे ही नहीं।”
रिपोर्ट – गीता देवी
लोसकभा चुनाव के चुनावी प्रचार और विशाल जनसभा से नेता अपने वोट बैंक में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तभी तो नेता जगह-जगह जा रहे हैं। चुनाव आते ही लोगों के मन में फिर से वही उम्मीद जग उठती है कि शायद इस बार हमारी जरूरतों को सरकार पूरा करेगी। आशाओं की उम्मीद लगाए उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले का महाराजपुर गांव जोकि मध्य प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है विकास के लिए तरस रहा है। यहां के खेत सिंचाई के लिए, यहां के मुर्दा शमशान के लिए और लोग राशन के लिए। हर बार सांसद पर विश्वास करते हैं कि जो चुनाव में वादे किए हैं इस बार पूरे हो जाएंगे।
बाँदा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी आर के पटेल तीन बार से सांसद हैं और इस बार फिर से उन्हें टिकट मिला है। वह बाँदा में आए लेकिन गांव तक नहीं आए। गांव के लोग भड़के हुए हैं। वे इस बार वोट नहीं देंगें।
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नहर 1 किलोमीटर दूर फिर भी सिंचाई का प्रबंध नहीं
मीना सिंह कहती है – “यहां के लोग भड़के हुए हैं सरकार कुछ करती नहीं है। राशन, पानी, बिजली की समस्या है। रगोली भटपुरा गांव से खाली पेटी जाएगी। यहां कोई वोट नहीं देने जाएगा। यहां से 1 किलोमीटर पर नहर है फिर भी सिंचाई का कोई प्रबंध नहीं है। निजी ट्यूबवेल है उससे उतना कर नहीं पाते। प्रत्याशी आर के पटेल आए थे सड़क के किनार से ही चले गए, गाड़ी से उतरे ही नहीं।”
आर के पटेल लाए मोदी का सन्देश
पप्पू का कहना है कि “गांव में आर के पटेल आए तो कहते हैं मोदी जी का संदेशा लेकर आए हैं। तीन बार सांसद रह चुके हैं चौथी बार लड़ रहे हैं। पांच साल में एक बार आते हैं चुनाव के समय में।”
शमशान की मांग
पंकज सिंह का कहना हैं कि “ शमशान यहाँ आबादी के हिसाब से बहुत छोटा है। शमशान के चारों तरफ घेरा भी नहीं किया है ऊपर से सरकार द्वारा अवैध अतिक्रमण हो रहा है। चारों तरफ लोगों के खेत है। हर साल इसे काट काट कर छोटा करेंगें तो शमशान घाट ही गायब हो जाएगा। मुस्लिम भाई भी रहते है वे भी यहां किसी को दफनाते हैं तो जंगली जानवर का भी खतरा रहता है। आने के लिए भी रास्ता नहीं है। बदलाव होगा तभी वोट करेंगें नहीं तो वोट बहिष्कार करेंगे।”
राजनीति अब बुरी तरह से सड़ चुकी है क्योंकि सिर्फ एक हथियार के रूप में नेता, सांसद अपने हित के लिए राजनीति में आते हैं और लोगों की भावनाओं के साथ, उनके विश्वास के साथ खेलते हैं सिर्फ वोट के लिए। ये जनता उनकी बातों में आ कर वोट डाल देती है कि इस बार विकास जरूर होगा।
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