कई बार लोगों को जाम से बचने के लिए गलियों से होकर लंबा चक्कर लगाकर जाना पड़ता है या फिर मजबूरी में पैदल ही काफी दूर चलना पड़ता है। लोगों का कहना है इसी सड़क पर आए दिन हादसे होते रहते हैं।
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – कुमकुम
पटना राजधानी पटना के 70 फीट रोड से लेकर पहाड़ी और फिर संपतचक तक का रोड़ पर रोज़ाना जाम की समस्या से लोग जूझ रहे है। यह रास्ता हजारों लोगों के लिए ऑफिस और रोज के कार्यों के लिए मुख्य सड़क है लेकिन यहां की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई है। यहां के रहने वाले लोगों का कहना है कि सुबह 10 बजे ऑफिस पहुंचने की जल्दी में जाम में फंस जाना आम बात हो गई है। कभी-कभी तो आधा घंटा से लेकर 45 मिनट तक जाम में समय बर्बाद हो जाता है।
यहां की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसी सड़क से भारी गाड़ी जैसे ट्रक और पशु गाड़ी भी गुजरते है जिससे जाम और बढ़ जाता है। यदि किसी को पहाड़ी बैरियर से बस पकड़नी हो तो समय पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है। ऑटो चालक इस स्थिति का फायदा उठाकर अधिक किराया मांगते हैं जिससे की लोगों के लिए परेशानी और बढ़ जाती है।
कई बार लोगों को जाम से बचने के लिए गलियों से होकर लंबा चक्कर लगाकर जाना पड़ता है या फिर मजबूरी में पैदल ही काफी दूर चलना पड़ता है। लोगों का कहना है इसी सड़क पर आए दिन हादसे होते रहते हैं। हर हफ्ते सुनने को मिल जाता है कि कहीं न कहीं एक्सीडेंट हुआ है।
ऑटो चालकों का जाम ने छीना रोज़गार घट गई कमाई
जहां रोज़ाना का ट्रैफिक जाम के वजह से लोगों के लिए लिए सिरदर्द बन गया है वहीं इसका सबसे बड़ा असर ऑटो चालकों पर भी पड़ रहा है। अनीसाबाद से पहाड़ी तक ऑटो चलाने वाले सत्येंद्र कुमार कहना है कि वह पिछले दो वर्षों से इस रोड़ पर ऑटो चला रहे हैं लेकिन हाल के महीनों में इसकी स्थिति बहुत खराब हो गई है।
पहले हम लोग दिन में चार-पांच चक्कर आसानी से लगा लेते थे। अब मुश्किल से दो-तीन बार ही जा पाते हैं। अनीसाबाद से पहाड़ी पहुंचने में पहले जहां 30 मिनट लगते थे। अब जाम की वजह से यही सफर डेढ़ घंटे तक खींच जाता है।
इस रोड पर 40 किराया तय है लेकिन लोगों की संख्या लगातार घट रही है। लोग अब पहाड़ी तक जाना ही नहीं चाहते क्योंकि 70 फीट में ही जाम लग जाता है। कई बार लोग आधे रास्ते में ही उतर जाते हैं और पूरा किराया नहीं देते हैं।
अब ऑटो चालकों की कमाई आधे से भी कम रह गई है। कई चालकों ने तो इस रोड पर आटो चलाना ही बंद कर दिया है। कुछ लोग सिर्फ 70 फीट तक ही जाते हैं और वहां से लोगों को दूसरे ऑटो में चढ़ने को कहते हैं जिससे कुल किराया 60 तक पहुंच जाता है। इससे लोगों को भी असुविधा होती है और हम चालकों की बदनामी भी होती है क्योंकि लोग एक बैठ जाते हैं तो दूसरी बार नहीं बैठते हैं।
सफर कम, परेशानी ज्यादा
संपतचक की रहने वाली सुजाता कुमारी का कहना है कि हाल ही में एक शादी से लौट रही थीं। अगमकुआं से पहाड़ी तक का सफर उन्होंने किसी तरह जाम में फंसते हुए तय किया लेकिन इसके बाद भी राहत नहीं मिली। पहाड़ी से मात्र दो किलोमीटर चले थे कि ऑटो मानपुर इलाके में रोक दिया गया। पूछने पर ऑटो वाले ने बताया कि जाम है। इसलिए रुकना पड़ा। अब न जाने कब जाम खुलेगा। पहले कभी दिन में इतने ट्रक नहीं देखे थे लेकिन अब हर तरफ से ट्रक ही ट्रक दिखाई दे रहे हैं। ट्रकों की भीड़ से डर लगता है। सरकार मेट्रो बना रही है। इसलिए सब सहना पड़ता है। दो साल हो गए, मेट्रो तो अब तक बनी नहीं लेकिन जाम रोज का सिरदर्द बन गया हैं।
इस रास्ते से बिहार शरीफ, जहानाबाद और गया जैसे शहरों के लिए बसें भी निकलती हैं। पहले इतना दिक्कत नहीं होता था लेकिन अब हालत बहुत खराब है। गर्मी में ऑटो में बैठे रहो तो पसीना-पसीना हो जाता है। आठ लोग पीछे, तीन आगे बैठे होते हैं। सब चिपक कर बैठेते है। इससे कयी बार लोगों की तबीयत खराब भी हो जातीं है। रास्ता तो दूसरा है लेकिन वह गलियों से होकर जाता है जहां से ऑटो नहीं जा सकता मेन रोड रास्ता यही है और यही रास्ता अब लोगों की सबसे बड़ी मुश्किल बन गया है।
जाम लगने की वजह
पहाड़ी से संपतचक रोड़ पर लगने वाले लगातार जाम को लेकर जब खबर लहरिया की रिपोर्टर ने ट्रैफिक हवलदार से बात किया तो उन्होंने बताया कि चारों तरफ से गाड़ियां आती हैं और हम लोग लगातार कोशिश करते रहते हैं कि रास्ता खुला रहे।
ट्रैकों को लेकर उन्होंने बताया कि जो ट्रक लोग देख रहे हैं। वो ज़्यादातर खाली ट्रक हैं। अगर खाली ट्रक नहीं जाएंगे तो फिर माल कैसे लाया जाएगा रात में नो-एंट्री हटती है। उसी समय में भारी गाडियां निकलते हैं। दिन में सिर्फ दो-चार ट्रक ऐसे ही निकल जाते हैं।
इस समय बैरिया बस स्टैंड और आस-पास के इलाकों में मेट्रो निर्माण कार्य चल रहा है जिससे ट्रैफिक प्रभावितों हो रहा है। इसके साथ ही बसों और एग्जाम के कारण भी ट्रैफिक लोड बढ़ा है। पुल के आसपास जाम लग जाता है लेकिन हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि जाम से जल्दी लोगों को राहत मिले।
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