गांव में इतनी गंदगी है कि हमारे रिश्तेदार भी आना पसंद नहीं करते। शादी-ब्याह के लिए भी लोग इस गांव में रिश्ता जोड़ने से कतराते हैं। यह हमारे लिए सबसे दुखद बात है। बरसात के मौसम में यह समस्या और भी बढ़ जाती है। गीला कूड़ा बदबू मारने लगता है जिससे आसपास रहना मुश्किल हो जाता है। कीड़े-मकोड़े बढ़ जाते हैं जिससे बीमारियों का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।”
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – सुनीता प्रजापति
बिहार के जिला पटना, ब्लॉक फुलवारी, गांव निहूरा। रोड के किनारे कूड़े का ढेर लगा हुआ है जो की हवा चलने से उड़ रहा है। लोगो के कपड़ों में धूल मिट्टी हो जाती है जिससे उन्हें आने जाने में दिक्कती होती हैं। स्कूल जाने में कचरा उड़ के बच्चो के कपड़ों पर आ जाता है। बरसात में बदबू भी आती है जिससे रोड से निकलना ही बड़ा मुश्किल हो जाता है।
गांव में जगह-जगह कूड़े के ढेर
70 साल की हस्तून निशा ने कहा कि “हमारे गांव में पूरब पश्चिम उत्तर और दक्षिण में चार बड़े कूड़े के ढेर हैं। स्कूल जाने में हवा चलने पर कचड़ा उड़कर बच्चो के ऊपर आ जाता है उनके कपड़े खराब हो जाते हैं। वार्ड मेंबर की तरफ से दो बाल्टियां मिली हैं जिसमें कचरा रखने की सुविधा है। इस कचरे को कचरा लेने वाला ही नहीं आता है और न ही कहीं डस्टबिन बना हुआ है जिसमें हम कचरा डाल सके। सरकार की इन बाल्टियों को देने से क्या फायदा है।”
48 साल की जुलैखा खातून बताती हैं “यह कूड़े का ढेर है जो की कभी खत्म नहीं होता और हमेशा इसी तरह बना रहता है। पूरे गांव के लोग यहीं पर कचरा डालते हैं। गांव में इतनी गंदगी है कि हमारे रिश्तेदार भी आना पसंद नहीं करते। शादी-ब्याह के लिए भी लोग इस गांव में रिश्ता जोड़ने से कतराते हैं। यह हमारे लिए सबसे दुखद बात है। बरसात के मौसम में यह समस्या और भी बढ़ जाती है। गीला कूड़ा बदबू मारने लगता है जिससे आसपास रहना मुश्किल हो जाता है। कीड़े-मकोड़े बढ़ जाते हैं जिससे बीमारियों का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।”
पुराने तालाब पर कूड़े का कब्जा
खटिया पर बैठी 70 वर्षीय हस्तून निशा बताती हैं कि उनकी पूरी उम्र इसी गांव में बीती है। पहले यहां एक तालाब हुआ करता था लेकिन अब लोग इसमें कूड़ा डाल-डालकर इसे कचरे का ढेर बना चुके हैं। वह दुखी होकर कहती हैं “हम किसी को रोक भी नहीं सकते। अगर हम कुछ कहें तो लोग हमसे झगड़ने आ जाते हैं। मेरा घर ठीक सामने है तेज हवा चलने पर कचरा सीधे घर के अंदर घुस जाता है। आप देख सकते हैं कि अभी भी मेरे घर के अंदर कूड़ा भरा पड़ा है।”
हसरफ खातून बताते हैं कि यह कचड़े का ढेर मेरे घर के सामने पड़ा हुआ है क्योंकि यहां पर पूरब दिशा के लोग पूरे इलाके में कचरा डाल देते हैं। यह कूड़ा डालेंगे भी कहां क्योंकि यहां कोई ऐसी जगह नहीं है जहां कचरा डाला जा सके। जहां भी जगह खाली मिलती है लोग वहीं कचरा डालने लगते हैं। इस साइड की जगह भी खाली देखी तो लोग कचरा डालने लगे।
हसरफ खातून की तस्वीर (फोटो साभार: सुमन)
वे आगे बताते हैं कि “आप पूरा गांव घूमकर देख सकते हैं जहां भी आपको जगह खाली दिखेगी लोग वहां कचरा डाल देंगे। उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम – चारों तरफ गांव के बाहर आपको कचरा मिलेगा। मतलब आप जिस भी दिशा से गांव की ओर जाएंगे सबसे पहले आपको कचरा ही मिलेगा फिर उसके बाद रास्ता मिलेगा और उसके बाद आप गांव के अंदर प्रवेश कर पाएंगे।”
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वह आगे कहते हैं कि इस कचरे से लोगों को बीमारियां भी हो जाती हैं। अक्सर लोग किसी न किसी बीमारी से परेशान रहते हैं। पूरे साल भर यहां मच्छर रहते हैं लेकिन हम क्या कर सकते हैं? हमें तो इसी गांव में रहना है। हमारी कौन सुनता है? सरकार कितनी भी योजनाएं लेकर आए लेकिन हमारे लिए कुछ नहीं होता।
मस्जिद के पास कूड़ा
मस्जिद के पास ही कपड़े का ढेर और नाली बनी हुई है जिसमें कचरे का ढेर लगा हुआ है। अमन बताते हैं कि वह मस्जिद में नमाज पढ़ने आते हैं और कभी-कभी अपने दोस्तों के साथ यहां खेलने भी आते हैं क्योंकि यहां एक खाली मैदान पड़ा होता है। लेकिन यहाँ हमेशा कचरा पड़ा रहता है जिससे खेलते वक्त कभी उनकी गेंद गिर जाती है और कभी खेल-खेल में उनके कपड़े गंदे हो जाते हैं। कचरा उड़कर उनके कपड़ों पर आ जाता है या कोई सामान नीचे गिरकर उसे उठाने में हाथ गंदे हो जाते हैं क्योंकि कचरा चारों तरफ फैला हुआ है। मस्जिद के सामने ही यह कचरा जमा हुआ है।
मस्जिद के सामने कूड़े के ढेर की तस्वीर (फोटो साभार: सुमन)
वे कहते हैं कि सरकार को यहां एक डस्टबिन रखना चाहिए ताकि कचरे की समस्या हल हो सके। वे यह भी कहते हैं कि सरकार ने स्वच्छता अभियान के तहत हर गांव में डस्टबिन रखने का प्रावधान तो बनाया है लेकिन हमारे गांव में डस्टबिन नहीं रखा गया। हमारे वार्ड मेंबर कहते हैं कि हमारे स्तर से कुछ नहीं हो सकता यह काम ब्लॉक स्तर पर ही होना चाहिए। हमें पता चला है कि स्वच्छता अभियान के तहत कुछ गांवों में डस्टबिन तो मिले हैं लेकिन हमारे गांव में अभी तक कोई डस्टबिन नहीं आया। अब जाकर आप वार्ड मेंबर से पूछ लीजिए।
वार्ड मेंबर के घर के सामने भी कूड़ा
वार्ड मेंबर के घर के सामने भी कचरा पड़ा हुआ है इस बारे में खड़ी महिला यस्विन तबस्सुम बताती हैं “मैं क्या कर सकती हूं मैम? मैं एक वार्ड मेंबर होने के नाते हर कोशिश करती हूं कि मेरा गांव साफ और स्वच्छ बना रहे जिसके चलते कई बार मुझे मुखिया से भी झगड़ा करना पड़ा है। हमारे गांव में 300 घर हैं और यहां की आबादी लगभग 700 से 1000 के बीच होगी। हमारे गांव में 720 वोटर हैं।
उन्होंने बताया कि ब्लॉक स्तर से बाल्टियां बांटने के लिए एक व्यक्ति आया था जिसे हमने कहा था कि वह पूरे गांव के लोगों को बाल्टियां दे। यह दो साल पहले की बात है लेकिन 300 घरों में से सिर्फ डेढ़ सौ घरों को ही बाल्टियां दी गई बाकी घरों को बाल्टियां नहीं मिलीं। डस्टबिन भी आए थे लेकिन हमारे गांव में अभी तक एक भी डस्टबिन नहीं लगाया गया। मैंने कई बार इसकी मांग की है लेकिन शायद इसीलिए मेरी बातें नहीं सुनी जातीं क्योंकि मैं एक महिला हूं।
कचरा उठाने के लिए सरकार की तरफ से हमारे गांव में एक गाड़ी निर्धारित की गई थी लेकिन वह गाड़ी मुखिया के घर के सामने खड़ी रहती है और फिर गाड़ी चली जाती है। अब बताइए हम क्या कर सकते हैं? मेरे हिसाब से हमारे गांव में कम से कम 15 डस्टबिन्स की जरूरत है जो हर चौक-चौराहे पर रखे जाएं ताकि हमारा गांव साफ और स्वच्छ रहे।
गंदगी की वजह से लोग मुझे बहुत कुछ कहते रहते हैं क्योंकि मैं इसी गांव में रहती हूं और वार्ड मेंबर हूं। लोग अपने गांव के वार्ड मेंबर को पहचानते हैं। फिर भी मैं आगे कोशिश कर रही हूं कि साफ-सफाई हो पाए और जगह-जगह पर डस्टबिन रखे जाएं। इसके लिए मैं आगे एक एप्लीकेशन दूंगी।
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