खबर लहरिया Blog पन्ना: बेरोज़गारी की मार से आम जनता परेशान

पन्ना: बेरोज़गारी की मार से आम जनता परेशान

लोगों का कहना है कि प्रशासन और राज्य सरकार भी गरीबी मिटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है और न ही युवाओं के लिए कोई अवसर प्रदान कर रही है।

पूरे देश की तरह मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले के ब्लॉक अजयगढ़ में भी लोग बेरोज़गारी से काफी परेशान हैं। वैसे तो समय के साथ पन्ना ज़िले का काफी विकास हुआ है लेकिन आज भी यहाँ के युवा से लेकर मध्यम आयु वर्ग के लोग नौकरी की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं। यहाँ के लोगों का कहना है कि प्रशासन और राज्य सरकार भी गरीबी मिटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है और न ही युवाओं के लिए कोई अवसर प्रदान कर रही है।

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सालों से नौकरी के इंतज़ार में बैठे लोग-

अजयगढ़ की रहने वाली शाहिदा बेगम का कहना है कि वो पिछले कई सालों से नौकरी की तलाश में इधर उधर भटक रही हैं। शाहिदा का कहना है कि उनके पिता सन 2000 में रिटायर हुए थे और उसके कुछ साल बाद उनका देहांत हो गया था। जिसके बाद से घर चलाने की पूरी ज़िम्मेदारी शाहिदा के कंधों पर आ गई। शाहिदा ने बताया कि उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा कर एक स्कूल में कुछ साल टीचर के रूप में नौकरी करी लेकिन फिर कुछ सालों बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति और नाज़ुक हो गई है। वर्तमान में शाहिदा और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी बुरी है कि वो एक टूटे-फूटे मकान में किराए पर रह रही हैं और खाना भी चूल्हे पर बनाती हैं। फ़िलहाल वो कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना घर खर्च निकाल रही हैं।

नौकरी की तलाश में महिलाएं

2018 में आशा कार्यकर्ता के लिए भर्ती निकली थी जिसके लिए उन्होंने आवेदन किया था। शाहिदा का कहना है कि नौकरी मिलने वाली महिलाओं की लिस्ट में उनका नाम भी था लेकिन उसके बावजूद भी उन्हें आज तक आशा कार्यकर्ता की नौकरी नहीं मिली। शाहिदा का मानना है कि उनकी जगह पर पैसे लेकर विभाग ने किसी और महिला को नौकरी दे दी। उन्होंने इंसाफ पाने के लिए अस्पताल में बीएमओ के पास कई बार चक्कर लगाए लेकिन फिर भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

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पढ़ाई पूरी करके खाली बैठे हैं हज़ारों युवा-

अजयगढ़ की ही रहने वाली शीलू अहिरवार का कहना है कि उनके माँ-बाप ने उनके ऊपर हज़ारों का खर्च करके उन्हें पढ़ाया-लिखाया लेकिन उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल पायी। शीलू का मानना है कि इससे बेहतर तो वो अनपढ़ ही रह जातीं और उन्हें बेरोज़गार होने का इतना दुःख नहीं होता। शीलू का कहना है कि राज्य सरकार वैसे तो आये दिन अलग-अलग विभागों में नौकरियां निकालती है लेकिन वहां भी इतनी धांधलेबाज़ी होती है कि पात्र लोगों को रोज़गार नहीं मिल पाता।

अजयगढ़ की ही रहने वाली साकरीन ने हमें बताया कि वो भी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करके नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रही हैं। वो पूरी तरह से अपनी परिवार पर निर्भर हैं। उनका कहना है कि युवाओं को सरकार नए अवसर प्रदान ही नहीं करती जिससे वो आगे बढ़ पाएं। प्रदेश में नौकरी न होने के कारण हर साल पढ़ाई पूरी करके हज़ारों छात्रों को या तो बेरोज़गार ही बैठना पड़ता है या फिर बड़े शहरों की ओर पलायन करना पड़ता है।

शाहिदा को नौकरी न मिलने के मामले को लेकर हमने अजयगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बी एम ओ के के राजपूत से बात करी तो उन्होंने बताया कि यह भर्तियां नगर पालिका की तरफ से निकलती हैं लेकिन पिछले 2 सालों से नगर पालिका के अध्यक्ष की बैठक नहीं हुई है जिसके कारण अभी हर विभाग की नौकरियों की नियुक्ति में देरी हो रही है।

राज्य सरकार को अब बेरोज़गारी के मामलों में सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। नहीं तो प्रदेश के युवा ऐसे ही नौकरी की तलाश में इधर उधर भटकते रहेंगे।

इस खबर की रिपोर्टिंग अनीता शाक्या द्वारा की गयी है।

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