कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के स्कूल तो पहले ही खोले जा चुके थे, फिर सोमवार से सरकारी और प्राइवेट स्कूल में नर्सरी से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं भी शुरू कर दी गई हैं।
कोरोना महामारी के लगभग 2 साल बाद 20 सितम्बर से मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के सभी विद्यालय नियमित रूप से खोल दिए गए हैं। मार्च 2020 में आई कोरोना की पहली लहर के दौरान विश्व भर में कार्यालय से लेकर स्कूल-कॉलेज, बाज़ार सब कुछ बंद हो गए था। लेकिन फिर अब तकरीबन 2 साल बाद लोगों के जीवन वापस से पटरी पर लौटने लगे हैं। और इसी को मद्देनज़र रखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी स्कूलों को खोलने का फैसला किया है।
बता दें कि कक्षा 6 से लेकर 12वीं तक के स्कूल तो पहले ही खोले जा चुके थे, फिर सोमवार से सरकारी और प्राइवेट स्कूल में नर्सरी से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं भी शुरू कर दी गई हैं।
स्कूल खुलने से बच्चों के माता-पिता भी हैं खुश-
पन्ना के ग्राम पंचायत शिन्हाई में एक आदिवासी क्षेत्र है जहाँ एक प्राथमिक विद्यालय है। गाँव के बच्चे वापस से विद्यालय जाने को लेकर काफी उत्साहित नज़र आ रहे हैं। इसी गाँव की रहने वाली रामप्यारी ने हमें बताया कि स्कूल खुलने से उन्हें काफी राहत मिली है, और अब घर के बच्चे भी दिनभर खेलने-कूदने के बजाय स्कूल जाकर कुछ सीख सकेंगे।
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2 साल में चौपट हुई पढ़ाई-लिखाई-
विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के द्वारा बताया गया कि वो लोग भी स्कूल खुल जाने से काफी खुश हैं। इन बच्चों का कहना है कि पिछले दो सालों में उनकी पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह से चौपट हो गई थी, और पहले का पढ़ा हुआ भी ये लोग भूल गए थे। क्यूंकि इन बच्चों के पास मोबाइल फ़ोन नहीं थे और न ही इंटरनेट की सुविधा थी, इसलिए ये लोग ऑनलाइन क्लास भी नहीं ले पा रहे थे।
इन बच्चों का कहना है कि 2 साल बाद स्कूल में वापस आकर इन्हें वापस से अपने भविष्य को सुधारने का मौका मिला है। इसके साथ ही में स्कूल में मौजूद खेल कूद के संसाधन वापस से पाकर इन बच्चों के चेहरे की मुस्कान लौट आई है।
स्कूल में कोविड-19 प्रोटोकॉल का हो रहा है पालन-
शिन्हाई गाँव में मौजूद प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक केशव प्रसाद द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बच्चों के साथ-साथ शिक्षक भी स्कूल वापस से खुलने से काफी खुश हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे एक साथ ग्रुप में बैठ कर पढ़ रहे हैं, खेल कूद रहे हैं और सबसे बड़ी बात मन लगाकर पढ़ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रशासन की तरफ से आदेश आया है कि फिलहाल सिर्फ 50 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल आएंगे। इसके साथ ही सभी बच्चों के लिए मास्क, सैनिटाइज़र की व्यवस्था भी स्कूल के अंदर कराई गई है। और जिन लोगों के बच्चे विद्यालय आ रहे हैं उनके माता-पिता से या अभिभावक से एक सहमति पत्र भी साइन करवाया गया है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि बच्चों को विद्यालय में भेजना उनके माता-पिता की जवाबदारी है। अगर बच्चों के माता-पिता चाहें तो उन्हें विद्यालय भेजें, और अगर बच्चों के माता- पिता नहीं चाहते हैं तो वह बच्चों को विद्यालय नहीं भी भेज सकते हैं।
केशव ने बताया कि स्कूल के 50 प्रतिशत बच्चे एक दिन आते हैं, और बाकी के 50 प्रतिशत दूसरे दिन। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कक्षा 1 से लेकर पांचवी तक के सभी बच्चे अभी एक साथ ही बैठ रहे हैं और बच्चों को अलग-अलग किटों के द्वारा एवं बोर्ड को नीचे रखकर चित्रों के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है।
अजयगढ़ ब्लॉक के बीआरसी शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मूरत सिंह द्वारा बताया गया कि अजयगढ़ ब्लॉक में 65 पंचायतें हैं और सभी जगह विद्यालय मौजूद हैं। सभी विद्यालय नियमित रूप से चालू हो गए हैं जिसमें शासन के निर्देशों का ख़ास पालन किया जा रहा है। उन्होंने हमें बताया कि जब से कोरोना महामारी की चपेट में भारत आया था, तब से ही मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा था।
लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे इन बच्चों के पास न ही मोबाइल फ़ोन की सुविधा थी और न ही इंटरनेट की, जिसके चलते स्कूल के कई बच्चे ऑनलाइन क्लासेज़ से भी वंचित रह रहे थे। मूरत सिंह के अनुसार स्कूल खुल जाने से बच्चों के उज्जवल भविष्य का सपना वापस से साकार होगा और वो उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए अनीता द्वारा रिपोर्ट किया गया है
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