जिला चित्रकूट ब्लॉक मानिकपुर गांव गढ़चपा मजरा बडेहार। यहाँ तीन पीढ़ी से लोग अनपढ़ रह गये हैं। स्कूल न होने के कारण सभी लोग जंगल लकड़ी काटने जाते हैं और बेचते हैं। इसी से खाना खर्चा चलाते हैं। जंगल से लकड़ी काटना और जड़ी बूटी तोड़ने में बच्चे भी शामिल हैं। जो ज्यादा छोटे हैं वह घर भर में खेलते रहते हैं।
2011 के जनगणना डेटा को देखें तो हम पाते हैं कि देश के 78 लाख बच्चों को पढ़ाई के साथ कमाई करनी पड़ती है तो वहीं 8.4 करोड़ बच्चे आज भी स्कूलों से वंचित हैं अब इस बात की मात्र कल्पना करें कि देश में 8.4 करोड़ बच्चे कभी भी स्कूल नहीं जा पाते हैं- यह शिक्षा के अधिकार के तहत आने वाले कुल संख्या का 20 फीसद है।
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गाँव के लोगों ने बताया कि उन्हें बहुत दुःख महसूस होता है की वह नहीं पढ़ पाए और अब उनके बच्चे भी नहीं पढ़ पा रहे हैं। वह कहीं भी बैक या सरकारी कामों के लिए जाते हैं तो उनको बहुत दिक्कत होती है। बच्चों ने बताया की वह पढना चाहते हैं लेकिन स्कूल 5 किलोमीटर दूर है और जंगल का रास्ता भी अगर वह जाते हैं तो पहुँचने में ही दोपहर हो जाएगा। और वह जंगल के रास्ते से जा भी नहीं सकते। अधिकारियो को लिखित और मौखिक कहते कहते थक गये लेकिन स्कूल के बारे में नहीं सोचा गया।
मानिकपुर खंड शिक्षा अधिकारी कृष्ण नारायण पाण्डे का कहना है की वह सर्वे करवायेगे इसके बाद वहां के लिए सोंचा जायेगा।
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