इंटरनेट जितना अच्छा है कहीं उससे ज्यादा खतरनाक भी। अगर इसका प्रयोग सद्पयोग के लिए होता है तो इंसान मानव की रचना कर डाले और अगर दुपयोग किया जाए तो संसार को नष्ट कर सकता है। मैं बात करना चाहती हूं कोरोना वायरस की महामारी के समय शोसल मीडिया में परोसी जा रही फेक खबरों की। जब से कोरोना महामारी की हलचल है तब से पूरी दुनिया में मानो फेक खबरों की बाढ़ सी आ गई है। इनकी भरमार इसलिए भी ज्यादा देखी जा रही है कि शोसल मीडिया में जो भी लोग हैं वह बिना सोचे समझें इन पोस्टों को फारवर्ड कर रहे हैं। ऐसे में हम मीडिया चैनल की जिम्मेदारी बनती है कि आपको इसकी सच्चाई बताएं। ऐसी कई खबरें हैं जो अब तक में सोशल मीडिया के मंच फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर में दिन रात घूम रही हैं।
एक पोस्ट देखी गई कि इटली देश के प्रधानमंत्री की रोते हुए फ़ोटो के साथ एक सीन जिसमें बहुत सारे लोग ताबड़तोड़ गिरकर लाश में तब्दील हो जाते हैं। इसको जब हमने गूगल के कई टूल्स से इमेज और वीडियो सर्च किये तो पता चला कि जिस व्यक्ति को इटली का प्रधानमंत्री बताया जा रहा वह व्यक्ति ब्राजील के राष्ट्रपति हैं और कोरोना से कोई लेना देना नहीं। साथ ही जो सीन है वह एक फिल्म कांटेजिअन का है। इसी तरह दूसरी पोस्ट चल रही है कि रुपये 498 का जिओ का फ्री रीचार्ज दिया जा रहा है ताकि इस महामारी के समय लोगों को मदद मिल सके। जब हमने जियो कम्पनी की लिंक के जरिये सर्च किया तो पता चला कि कम्पनी ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है।
तीसरी एक और पोस्ट जिसमें एक कपल की तस्वीर जो 134 पीड़ितों का इलाज करने के बाद संक्रमण का शिकार हो गए और उनकी मौत हो गई। बताया गया कि वह भारतीय हैं और इटली में डॉक्टर की जॉब कर रहे थे। जब इसमें हमने गूगल रिवर्स से इमेज सर्च किया तो पाया कि वह जिन लोगों की वह फ़ोटो है वह डॉक्टर की ही नहीं है। न ही किसी माड़िया में इस तरह की कोई खबर प्रसारित की गई।
अगर मैं बांदा की बात करूं तो 22 मार्च को दिन में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के 16 जिलों को लाकडाउन की घोषणा की जिसमें बांदा जिला नहीं शामिल था लेकिन कुछ लोगों ने समाचार देखते समय टेलीविजन की फोटो खींचकर उसको एडिट करके बांदा लिख दिया। हालांकि ये सीमित शहर का मामला था तो बहुत लोगों ने इसको स्पष्ट कर दिया।
ऐसा क्यों करते हैं लोग उनको मिलता क्या है। मैं जहां तक समझती हूं कि लोग अपने लाइक और शेयर बढ़ाने और खुद फेमस होने के लिए ऐसा करते हैं। आखिकार ऐसे फेमस होने से क्या फायदा जो इंसान को खतरे में डालता हो। जबकि ऐसी घड़ी में और ज्यादा संवेदनशील और जिम्मेदार इंसानियत की मिशाल पेश करने की जरूरत होती है। ताकि ऐसी फेक न्यूज और जानकारी को बढ़ावा न मिले। समझदार बनें, सावधान रहें। जागरूक बनें और जागरूकता फैलाएं ताकि फेंक खबरों को फैलने से रोक पाएं।
-मीरा देवी