खबर लहरिया Blog Heat stroke : यूपी-बिहार में भीषण गर्मी से 100 लोगों की मौत का अनुमान, मौतों के आंकड़ों पर कई सवाल

Heat stroke : यूपी-बिहार में भीषण गर्मी से 100 लोगों की मौत का अनुमान, मौतों के आंकड़ों पर कई सवाल

भीषण गर्मी से यूपी में जहां 54 लोगों की मौत, बिहार में 44 लोगों की मौत व ओडिशा में एक व्यक्ति की मौत हुई है। मौसम विभाग ने भी चेतावनी दी है कि देश के कई हिस्सों में गर्मी का कहर ज़ारी रहेगा।

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भीषण गर्मी से सबसे ज़्यादा असर बुज़ुर्गों पर पड़ता है जिससे उन्हें चक्कर आने लगते हैं और उनके स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है / फोटो- adobe stock

भीषण गर्मी से लगभग 100 लोगों की मौत होने की जानकारी है। पिछले तीन से चार दिनों में यूपी, बिहार में गर्मी से सबसे ज़्यादा मौतें दर्ज़ की गई है, वहीं ओडिशा से भी एक मामला सामने आया है। यूपी में जहां 54 लोगों की मौत हुई है, वहीं बिहार में भीषण गर्मी के कारण 44 लोगों की मौत हुई है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों के डॉक्टर्स का कहना है कि भीषण गर्मी के संपर्क में आना लोगों की मौत की वजह है। इसके आलावा मौसम विभाग ने भी चेतावनी दी है कि देश के कई हिस्सों में गर्मी का कहर ज़ारी रहेगा।

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बलिया में गर्मी से सबसे ज़्यादा मौतें

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के बलिया जिले के एक जिला अस्पताल में 15, 16 और 17 जून के बीच 54 लोगों की मौत राज्य में पड़ रही भीषण गर्मी की वजह से हुई है। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले तीन दिनों में कम से कम 400 लोगों को बुखार, सांस फूलने व अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी शिकायतों को लेकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बलिया अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (प्रभारी) डॉ. एसके यादव ने कहा, ’15 जून को अस्पताल में 154 मरीज भर्ती हुए और उस दिन 23 मौतें हुईं। अगले दिन (16 जून) 137 लोगों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और 20 की मौत हुई। 17 जून को अस्पताल में 11 मौतें हुईं।”

यूपी में गर्मी से हुई मौतों का आंकड़ा अस्पष्ट

मुख्य चिकित्सा अधिकारी जयंत कुमार द्वारा रविवार को बलिया के जिला मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार को अलग से भेजी गई एक रिपोर्ट में इसी अवधि में मौतों की संख्या 83 बताई गई।

रिपोर्ट में कहा गया, “बुखार और अन्य चिकित्सा परेशानियों के कारण कुल 44 मौतें हुईं, जबकि 39 मौतें अलग-अलग बीमारियों और चिकित्सा दिक्क्तों के कारण हुईं।”

शनिवार को अस्पताल की ओर से ज़ारी एक बयान में कहा गया, ‘ऐसे मौसम में ब्लड प्रेशर, ब्रोन्कियल अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए समस्या और बढ़ जाती है… जब लोगों को लाया गया तो उनमें से ज़्यादातर को चक्कर आने की शिकायत थी और कुछ अन्य को बुखार था। ये मौतें गंभीर बीमारियों की वजह से हुई हैं, न कि हीटस्ट्रोक की वजह से।”

रिपोर्ट में आगे कहा, बुखार और भ्रम होना अतिताप के सबसे आम लक्षणों में से हैं।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि साधारण और लापरवाही वाले दिए गए बयान की वजह से बलिया के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ दिवाकर सिंह को अस्पताल में बाहर निकाल दिया गया। इनकी जगह डॉ. एसके यादव को दी गई व उन्होंने गर्मी से हुई मौतों को लेकर मीडिया से बात की और मौतों के कारण में आयु और पहले से स्थापित बीमारियों को वजह बताया।

बलिया के जिला अस्पताल में जांच के लिए भेजी गई टीम

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि रविवार को निदेशक (संचारी रोग) डॉ. एसके सिंह और निदेशक (उपचार) डॉ. केएन तिवारी के साथ दो सदस्यीय जांच पैनल को बलिया भेजा गया था। टीम ने यह पता लगाने के लिए जिले में पानी के नमूनों का परीक्षण किया कि क्या मौतों के पीछे कोई संक्रमण था और चिकित्सा टीमों द्वारा प्रतिक्रियाओं का भी आंकलन किया गया।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि मानसून की बारिश, पहले रविवार को पूर्वी क्षेत्र में आने का अनुमान था जिसमें अब देरी हो सकती है और 20 जून के बाद ही इसके आने की उम्मीद है।

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यूपी में भारी बारिश व तेज़ हवा की चेतावनी

बता दें, 40-54° के बीच के ताप सूचकांक में लंबे समय तक संपर्क में रहने से हीटस्ट्रोक होता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार को, बलिया में अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो साल के इस समय के लिए सामान्य से छह डिग्री कम है, और सापेक्ष आर्द्रता 31% है।

मौसम विभाग की बुलेटिन के अनुसार, 19 जून को अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। मौसम विभाग के लखनऊ कार्यालय के प्रभारी मोहम्मद दानिश ने कहा, “मौसम विभाग ने 18 जून से उत्तर प्रदेश के लिए भारी बारिश और तेज हवा की चेतावनी जारी की गई है।”

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बिहार में गर्मी से 45 लोगों की मौत का अनुमान

अगर बिहार की बात करें तो अकेले पटना जिले में 35 व पूरे राज्य में भीषण गर्मी से 45 लोगों की मौत दर्ज़ की गई है।

अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 19 और पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 16 लोगों की मौत हुई हैं। अलग-अलग जिलों के अस्पताल अधिकारियों के अनुसार, अन्य जिलों में दस लोगों की मौत हुई है।

बिहार के आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा, कोई भी मौतों गर्मी की स्थिति से संबंधित नहीं थी।

बता दें, हीटवेव की स्थिति तब मानी जाती है जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा हो; तटीय क्षेत्रों में 37°C से अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों में 30°C से अधिक और सामान्य से विचलन अधिकतम औसत से 4.5 और 6.4°C के बीच हो। अगर यह स्थिति लगातार दो दिनों तक बनी रहती है तो दूसरे दिन लू की स्थिति घोषित कर दी जाती है।

ओडिशा में गर्मी से एक की मौत

राज्य सरकार द्वारा ज़ारी किये गए आंकड़ों से पता चलता है कि ओडिशा के बालासोर में हीटवेव की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। अधिकारियों द्वारा मृतक के परिवार के लिए 50 हज़ार रूपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की गई है।

विशेष राहत आयुक्त कार्यालय के एक व्यक्ति ने कहा कि वे अभी तक गर्मी के कारण 20 अन्य लोगों के मरने की रिपोर्ट की पुष्टि नहीं कर पाए हैं।

छत्तीसगढ़-झारखंड में भी गर्मी का प्रकोप

यूपी, बिहार के अलावा छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी गर्मी का सामान्य असर देखने को मिल रहा है लेकिन राहत की बात यह है कि दोनों राज्यों में गर्मी से किसी की भी मौत होने की सूचना नहीं है।

रायपुर के मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा ने कहा, “बस्तर क्षेत्र में सोमवार यानी आज प्री-मानसून की बारिश होने की उम्मीद है, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी। वहीं राज्य में 19 जून तक लू की स्थिति बनी रहेगी। मानसून 21 जून को बस्तर से होते हुए छत्तीसगढ़ में प्रवेश करेगा और फिर तापमान में गिरावट आएगी।”

गर्मी व हीटस्ट्रोक से हो रही लगातार मौतों को देखते हुए डॉक्टर्स ने लोगों को जितना हो सके अपने घरों में रहने की सलाह दी है। इसके अलावा जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है उन्हें खास तौर से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है। इसके आलावा राज्य सरकारों द्वारा हीटस्ट्रोक से जुड़ी मौतों के दिए आंकड़ों पर भी कई सवाल उठ रहे हैं क्योंकि कई रिपोर्ट्स ऐसी भी सामने आ रही है जहां मौत के आंकड़े दिए गए आंकड़ों से ज़्यादा है। ऐसे में जांच की अति आवश्यकता दिखाई देती है व राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है कि अस्पतालों में लोगों के लिए पूर्ण सुविधाएं मुहैया कराई जाए जो हालांकि आपदा के समय ही देखी या करी जाती हैं।

 

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