खबर लहरिया Blog Cyclone Biparjoy : अत्यधिक बारिश से जलमग्न हुआ अजमेर का अस्पताल, कई क्षेत्रों में भरा पानी

Cyclone Biparjoy : अत्यधिक बारिश से जलमग्न हुआ अजमेर का अस्पताल, कई क्षेत्रों में भरा पानी

मौसम विभाग ने सोमवार को टोंक, बूंदी और सवाई माधोपुर जिलों में अत्यधिक भारी वर्षा और जयपुर, पाली, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ में भारी से अत्यधिक वर्षा होने की चेतावनी ज़ारी की है।

                                      जवाहरलाल नेहरू अस्पताल की तस्वीर/ एएनआई

चक्रवात बिपरजॉय की वजह से राजस्थान के अजमेर में लगातार 24 घंटो की अत्यधिक बारिश के बाद यहां के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में पूरी तरह से पानी भर चुका है। अधिकारियों द्वारा आज सोमवार को बताया गया कि लगातार बाढ़ के पानी को निकालने का काम ज़ारी है।

रविवार को हुई बारिश से अस्पताल बाढ़ क्षेत्र में तब्दील हो चुका है।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ताज़ा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र (आरडब्ल्यूएफसी) ने दिल्ली-एनसीआर में आंधी के साथ हल्की बारिश की संभावना बताई थी। आरडब्ल्यूएफसी ने कहा, “एनसीआर (मानेसर) फारुखनगर, कोसली, सोहाना, रेवाड़ी, बावल, नूंह (हरियाणा) नंदगांव, बरसाना, जलेसर, सादाबाद (यूपी) भिवाड़ी, तिजारा, खैरथल, डीग (राजस्थान) में गरज के साथ हल्की बारिश हुई।”

ये भी देखें – Heat stroke : यूपी-बिहार में भीषण गर्मी से 100 लोगों की मौत का अनुमान, मौतों के आंकड़ों पर कई सवाल

वार्डस में पानी भरने से मरीज़ों को हो रही परेशानी

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के कई वार्डों में बारिश का पानी घुसने की वजह से अस्पताल के स्टाफ के साथ-साथ आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश का पानी दवाई वार्ड में घुसने से कई दवाइयां भी खराब हो चुकी है।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि अस्पताल के सफाईकर्मचारी स्टाफ सुबह से ही पानी को साफ करने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही सुबह 9 बजे से बाहर के मरीज़ों के लिए अस्पताल खुलना था जो पानी न निकल पाने की वजह से नहीं खुल पाया।

जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीरज ने कहा कि अस्पताल के आर्थोपेडिक वार्ड में पानी घुस गया और वहां भर्ती 18 मरीजों को दो अन्य वार्डों में स्थानांतरित कर दिया गया है।

ये भी देखें – Monsoon Update : जानें यूपी-दिल्ली में कब आएगा मानसून, कहां ज़ारी हुआ अलर्ट

ज़्यादा बारिश से ही भरता है वार्ड

जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीरज ने कहा, “पानी अस्पताल के कोर्रिडोर्स और आर्थोपेडिक वार्ड में प्रवेश कर गया है। यह तभी होता है जब क्षेत्र में भारी वर्षा होती है। पानी साफ हो गया है लेकिन मरीजों को अभी तक वार्ड में वापस नहीं भेजा गया है। उनका इलाज दूसरे वार्डों में किया जा रहा है।”

अधीक्षक की बात यह बताने के लिए काफी है कि यह मालूम होने के बाद ही कि भारी बारिश में अस्पताल में पानी घुसने की संभावना रहती है, ऐसे में भी अस्पताल के अधिकारीयों द्वारा पानी के निकास हेतु उचित कार्य नहीं किया गया।

अत्यधिक बारिश से कई क्षेत्र जलमग्न

आपदा प्रबंधन एवं राहत विभाग के सचिव पी सी किशन ने कहा कि रविवार रात पाली और जालोर के अलग-अलग स्थानों से करीब 30 लोगों को बचाया गया है।

रिपोर्ट्स में बताया गया कि राजस्थान के कुछ हिस्सों में भारी से अत्यधिक भारी वर्षा हुई है, जो चक्रवात बिपरजॉय की वजह से उत्पन्न हुआ है। इससे पहले चक्रवात बिपरजॉय ने 15 जून को पड़ोसी राज्य गुजरात में तबाही मचाई थी।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि जालोर, सिरोही, बाड़मेर और पाली जिलों में दो दिनों से भारी बारिश की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है, जिससे कई इलाके जलमग्न हो गए हैं और कई गांवों का संपर्क कट गया है।

निचले इलाकों के कई घरों में भी पानी घुस गया है।

राजस्थान के इन क्षेत्रों में अलर्ट ज़ारी

मौसम विभाग ने सोमवार को टोंक, बूंदी और सवाई माधोपुर जिलों में अत्यधिक भारी वर्षा और जयपुर, पाली, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ में भारी से अत्यधिक वर्षा होने की चेतावनी ज़ारी की है।

बुधवार तक खत्म हो सकता है असर

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि दबाव कमजोर होकर निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया है और राजस्थान में इसका असर बुधवार तक खत्म हो जाएगा।

बता दें, जवाहरलाल नेहरू अस्पताल उस डिवीज़न का सबसे बड़ा अस्पताल है। ऐसे में यहां हमेशा मरीज़ों की भीड़ रहती है पर पानी निकासी की सुविधा में अधिकारियों द्वारा बर्ती नज़रअंदाज़गी की वजह से मरीज़ों को सबसे ज़्यादा समस्या हो रही है। वहीं सड़कों व अन्य इलाकों का भी यही हाल है। कहीं भी पानी की निकासी को लेकर काम नहीं किया गया है जिसकी वजह से लोग जलमग्न क्षेत्र में फंस गए हैं और उन्हें आपदा प्रबंधन एवं राहत विभाग की वजह से बाहर निकाला जा रहा है। यह हाल हमेशा बारिश के समय देखा जाता है और इसके बावजूद भी प्रशासन इसे लेकर पर्याप्त कार्य करती नहीं दिखती।

निचले क्षेत्र राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से बाढ़ क्षेत्र में तब्दील हो जाते हैं और फिर उन्हें अपने स्थानों को छोड़कर किसी दूसरी जगह विस्थापित होना पड़ता है।

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke