चित्रकूट जिला यूपी और मध्यप्रदेश के सतना के बीच बंटा हुआ है। दोनों ही राज्य अपने–अपने धार्मिक स्थलों की वजह से जाने जाते हैं। जिसकी वजह से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी ज़्यादा होती है। हर रोज़ लगभग 10 हज़ार लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। इसी बीच इन धार्मिक स्थलों में अगर कोई मेला लगा हो तो पर्यटकों की संख्या और भी ज़्यादा बढ़ जाती है। लोग यहां आमतौर पर चार धाम की यात्रा के लिए आते हैं। यात्रा में काफ़ी चढ़ाई होती है जो की हर कोई नहीं कर सकता। जिसे देखते हुए प्रशासन द्वारा रोपवे बनाने की शुरुआत की गयी है।
हनुमान धारा में शुरू किया गया रोपवे बनवाने का काम
हनुमान धारा मध्यप्रदेश के चित्रकूट, सतना में हैं। यहां पर्यटकों की सहूलियत को देखते हुए रोपवे बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। रात के समय जंगलों के बीचों–बीच सीढ़ियों से हनुमान धारा जाने में लोगों को काफी डर लगता है। साथ ही सीढ़ियों से जाने में काफी समय भी लगता है। ऐसे में रोपवे समय बचाने के साथ–साथ पर्यटकों को जंगली रास्तों से ना जाने का भी विकल्प देता है। रोपवे से जाना थोड़ा महँगा और खर्चीला तो है लेकिन फिर भी लोग इससे जाना काफी पसंद करते हैं।
लगभग एक साल पहले चित्रकूट के लक्ष्मण पहरिया में भी रोपवे (रस्सी से बना मार्ग) बनाया गया था। ताकि पर्यटकों को ऊँची चढ़ाई करने में तकलीफ ना हो। आमतौर पर घूमने आये लोग ऑटो या किसी अन्य यातायात के साधन से मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों की सैर करते हैं। लेकिन कई जगहें ऊंचाई पर भी है और हर कोई ऊँची चढ़ाई करने में सक्षम नहीं होता, खासतौर से बुज़ुर्ग लोग। ऐसे में रोपवे पर्यटकों के लिए काफ़ी लाभदायक और सहायक साबित होता है।
रोपवे बनवाने से मिल सकता है रोज़गार
कोरोना की वजह से काफी लोगों को बेरोज़गारी का सामना करना पड़ रहा है। सेंटर फॉर मॉनीटरिमेंग इंडियन इकॉनमी की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार यूपी का बेरोज़गारी दर 21.5 प्रतिशत है। रोज़गार की तालाश में काफी लोग रोज़गार ढूंढते हुए शहरों की तरफ निकल आए। ऐसे में अगर रोपवे बनाने का काम शुरू किया जा रहा है तो इसका मतलब है की इसे बनाने में काफी लोगों की ज़रुरत भी होगी। जिसका मतलब है की लोगों को रोज़गार का अवसर मिलेगा।
बाहरी लोगों को नहीं दिया जाएगा काम
मध्यप्रदेश चित्रकूट के विधायक नीलांशु चतुर्वेदी का कहना है कि अगर स्थानीय लोगों को रोपवे का काम नहीं दिया गया तो वह रोपवे का काम आगे नहीं बढ़ने देंगे। जो यहां के लोग हैं उन्हें ही काम पर सबसे पहले रखा जाना चाहिए।
रोपवे के काम को लेकर विधायक द्वारा स्थानीय लोगों को काम देने की बात करना जायज़ है। लेकिन इससे यह बात भी साफ़ होती है कि राज्य या जिले में कहीं भी लोगों के लिए कोई भी रोज़गार का साधन प्रशासन या सरकार द्वारा नहीं दिया गया है। तभी तो विधायक सिर्फ रोपवे के काम को लेकर अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। अगर राज्य में रोज़गार होता तो रोपवे का काम बाहरी व्यक्ति करे या फिर कोई स्थानीय , इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।