जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने राज्य में पहले से मौजूदा धारा को फिर से लाने के लिए गठबंधन बना लिया है। जो की धारा 370 को खत्म करने से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य में थी और वह इसे अन्य राज्यों से अलग और ज़्यादा प्राथमिकता देती थी। गठबंधन की खबर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारुक़ अब्दुला ने 15 अक्टूबर को मीडिया से बातचीत करने के दौरान दी थी। महबूबा मुफ़्ती की रिहाई के बाद गठबंधन का फैसला लिया गया।
‘गुप्कर घोषणा‘ के लिए बैठक
बुधवार 15 अक्टूबर को सर्वदलीय गठबंधन के गठन और ‘गुप्कर घोषणा‘ पर चर्चा करने के लिए नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख आवास पर बैठक हुई। बैठक की चर्चा धारा 370 को लेकर थी। जिसे केंद्र सरकार द्वारा खत्म कर दिए गया था। मीडिया एजेंसी एएनआई को बताते हुए नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा कि “हमने इस गठबंधन को गुप्कर घोषणा के लिए ‘पीपुल्स अलायंस‘ नाम दिया है। हमारी लड़ाई एक संवैधानिक लड़ाई है, हम चाहते हैं कि भारत की सरकार 5 अगस्त 2019 से पहले राज्य के लोगों के अधिकारों को वापस करे” यानी वह सारे अधिकार जो धारा 370 के खत्म होने से पहले राज्य के लोगों को मिलती थी।
‘गुप्कर घोषणा‘ जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रीय मुख्यधारा के राजनीतिक दलों -नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और सीपीआई (एम) का एक संयुक्त प्रयास है। ताकि वह राज्य को फिर से विशेष दर्ज़ा दिलवा सके।
बैठक में यह लोग थे मौजूद
दो घंटे चली इस बैठक में महबूबा मुफ्ती, पीपल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सजाद लोन, सीपीआईएम के नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और पीपल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर ने हिस्सा लिया। उमर अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी बैठक में मौजूद थे। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि गठबंधन जम्मू और कश्मीर से संबंधित मुद्दे के समाधान के लिए सभी हित धारकों के साथ बातचीत करना चाहता है। “हम आपको भविष्य में कार्रवाई के बारे में सूचित करेंगे” – जम्मू-कश्मीर के नेशनल कांफ्रेंस के राष्ट्रपति ने कहा। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष ने की बैठक में, मुफ्ती के 14 महीनों के नजरबंदी को “पूरी तरह से अवैध और अनुचित” भी कहा।
बुधवार 14 अक्टूबर को फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती से उनके आवास पर मुलाकात की थी।
महबूबा मुफ़्ती की रिहाई
14 महीने और आठ दिन बाद मंगलवार 13 अक्टूबर की रात को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती को रिहा किया गया। 5 अगस्त 2019 को जब धारा 370 और उससे मिलने वाले प्रावधानों को हटाया गया, उसके बाद से ही जन सुरक्षा अधिनियम ( पीएसए ) की धारा 19 (1 ) के तहत उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था। कहा जा रहा था कि गिरफ्तारी के बाद से ही मुफ़्ती की हिरासत की अवधि लगातार बढ़ाई जा रही थी। जम्मू-कश्मीर के प्रमुख सचिव सूचना रोहित कंसल ने इसकी जानकारी दी थी।
370 धारा को हटाए जाने को कहा ‘काला फैसला‘
मुफ़्ती ने अपनी रिहाई के एकदम बाद ही संघर्ष का ऐलान कर दिया। अपने ट्विटर अकाउंट पर ऑडियो जारी करते हुए उन्होंने 370 धारा के प्रावधानों के हटाए जाने के फैसले को काला फैसला करार दिया। मुफ़्ती ने अपने ऑडियो में कहा, “मैं आज एक साल से भी ज्यादा समय के बाद रिहा हुई हूं। 5 अगस्त 2019 के उस काले दिन का काला फैसला मेरे दिल और रूह पर हर पल वार करता रहा। मुझे यकीन है कि ऐसी ही स्थिति जम्मू-कश्मीर के लोगों की रही होगी। कोई भी उस दिन की बेइज्जती को भूल नहीं सकता”।
उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ़्ती सहित 444 नेता हुए थे गिरफ्तार
पिछले साल अगस्त 2019 में जन सुरक्षा अधिनियम के तहत 444 लोगों को हिरासत में लिया गया था। हिरासत में लिए गए लोगों में से अब ज़्यादातर लोगों को रिहा कर दिया गया है। कुछ लोगों को इस शर्त पर छोड़ा गया था कि वह रिहाई के बाद किसी भी तरह का राजनीतिक बयान नहीं देंगे। फ़ारुक़ अब्दुल्लाह और उसके बेटे उमर अब्दुल्लाह को इसी साल मार्च में रिहा कर दिया गया था। मुफ़्ती को उनके ही बंगले में हिरासत में रखा गया था और प्रशासन ने बंगले को उप जेल घोषित कर दिया था।
धारा 370 जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार देती थी, पिछले साल 2019 में केंद्र सरकार द्वारा यह कहकर खत्म कर दिया था कि इसके खत्म होने से राज्य भारत के अन्य राज्यों की तरह ही बराबर हो जाएगा और रोज़गार के नए अवसर खुलेंगे। पहले पहल, धारा को खत्म करने को लेकर लोगों द्वारा काफी विरोध किया गया। यहां तक की धारा को समाप्त करने से पहले राज्य के सभी नेताओं को नज़रबंद तक कर दिया गया। जिनमें से कुछ नेताओं की रिहाई इस समय हुई है यांनी लगभग एक साल बाद। धारा के समाप्त होते ही राज्य में सरकार द्वारा कर्फ्यू लगा दिया गया।