बुंदेलखंड में नवरात्रि पर्व पर अपनी छाती पर ज्वारा बोने की परम्परा वर्षों पुरानी हैं। इस समय नवरात्रि पर्व की धूम है महिला हो या पुरुष अपनी-अपनी मान्यता और मिन्नते लेकर माता की आराधना कर रहे हैं महोबा जिला के ब्लॉक जैतपुर के गाँव खिरिया कला की रहने एक महिला ने अन्न जल त्यागकर अपनी छाती पर जवारा बोया है उनके अनुसार उनका मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं था और उसे सुधारने के लिए अपनी छाती पर ज्वारा बोया है।
पूरे देश में नवरात्रि पर्व को लेकर धूम मची हुई है लोग अपनी-अपनी मान्यता और मिन्नते लेकर माता की आराधना कर रहे हैं महोबा जिला के ब्लॉक जैतपुर के गाँव खिरिया कला की रहने एक महिला ने अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अपनी छाती पर ज्वारा बोया है। महिला ने बताया की वह 20 साल से परेशान रहती थी और उसे गांव के लोग पागल कहते थे। महिला को चार-पांच साल पहले सपना आया था कि वह अपने शरीर में जवारा बोये और वही सपना को वह साकार कर के इस साल से दूसरी साल हो गए शरीर पर जवारा बोई है।
महिला ने यह भी बताया कि 3 साल पहले भी उन्होंने जवारा अपने शरीर में रखा था जिससे पूरे साल वह चिडचिडे पन से ठीक थी और उन्हें कोई परेशानी नहीं होती थी। पिछले साल उन्होंने जवारा नहीं रखा जिससे उन्होंने देवियों ने बोला कि आपने जवारा नहीं रखा है और फिर वह परेशान होने लगी जिससे वह दूसरी साल ही दुबारा से अपने शरीर में जवारा बोई है।
आजकल के दौर में जिस सबसे महत्वपूर्ण चीज को हम सबसे ज्यादा नजरंदाज करते हैं, वह है हमारा स्वास्थ्य, जबकि स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है,जब तक आप शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं आप अंदर से, ज्यादा देर तक खुश नहीं रह सकते और न ही किसी काम में ज्यादा देर तक ध्यान लगा सकते हैं। लेकिन अन्धविश्वास की आड़ में महिलाएं किस तरह अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करती हैं यह आपके सामने है..ये मैं नहीं बल्कि डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा करने से महिलाओं को बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है व्रत को भूख हड़ताल की तरह करना स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। खाने-पीने की जरुरी चीजें शरीर को न मिलने पर पानी की कमी, पोषण की कमी होने से भिन्न तरह की परेशानियां सामने आने लगती हैं। नतीजन जल्दी ही शरीर लाचार और बीमार लगने लगता है। ऐसे व्रत करने पर फायदा कम, नुकसान ज्यादा होने की आशंका रहती है।
नीति आयोग की रिपोर्ट हेल्थ केयर इन इंडिया विजन 2020 रिपोर्ट के मुताबिक खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते महिलाओं की उम्र 17.5 साल तक कम हो जाती है। स्पष्ट रूप से, इससे निपटने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण आवश्यक है।
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