खबर लहरिया Blog महोबा : पहले बीजेपी ने नहीं दी टिकट, अब दूसरी पार्टी से भी नाम हटाने का बना रहे दबाव | UP Nikay Chunav 2023

महोबा : पहले बीजेपी ने नहीं दी टिकट, अब दूसरी पार्टी से भी नाम हटाने का बना रहे दबाव | UP Nikay Chunav 2023

बड़े बाबू ने आगे कहा, उन पर भाजपा द्वारा इसलिए दबाव बनाया जा रहा है ताकि वह भाजपा प्रत्याशी से टक्कर न ले क्योंकि उनकी कस्बे में अच्छी चाप है और इसी बात का उन्हें डर था।

                                                                                                        जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी बड़े बाबू की तस्वीर

 

UP Nikay Chunav 2023 : बीजेपी से टिकट न मिलने पर महोबा जिले के बड़े बाबू नाम के व्यक्ति ने जन अधिकार पार्टी से अध्यक्ष पद हेतु पर्चा भर दिया और बस यहीं से राजनीतिक गोलमाल शुरू हो गया। खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, जब से बड़े बाबू ने दूसरी पार्टी से पर्चा भरा तब से ही उन पर नामांकन वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

बड़े बाबू ने कहा कि नामांकन का आखिरी दिन था और उन्हें अपना नाम वापस नहीं लेना था। 24 अप्रैल को उन्होंने नामंकन भरा और 25 अप्रैल से उन पर नाम वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाने लगा।

इसके बाद 27 अप्रैल 2023 को उन्हें थाने बुलवाया गया। आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वहां उनसे नाम वापस लेने के लिए कहा गया लेकिन वह किसी तरह से बहाना बनाकर वहां से निकल गए।

ये भी देखें – चित्रकूट: बीए की पढ़ाई के साथ रखा था चुनावी मैदान में कदम – BJP प्रत्याशी | UP Nikay Chunav 2023

डर था तो भाजपा से टिकट क्यों नहीं दी?

बड़े बाबू ने आगे कहा, उन पर भाजपा द्वारा इसलिए दबाव बनाया जा रहा है ताकि वह भाजपा प्रत्याशी से टक्कर न ले क्योंकि उनकी कस्बे में अच्छी चाप है और इसी बात का उन्हें डर था। आरोप में कहा कि नाम वापस लेने के लिए कई नेताओं के उनके पास कॉल आये। उन्होंने कहा, “अगर इतना ही आपको डर था तो मुझे भाजपा से टिकट क्यों नहीं दिया। अब मैं लड़ रहा हूँ तो मुझे चुनाव लड़ने दो। पार्टी का क्या है, उससे मुझे लेना-देना नहीं है। मैं हारू या जीतूं, चुनाव लड़ने का मेरा अधिकार है और मेरे सारे दस्तावेज़ भी जमा है।”

Mahoba news, BJP party presurring jan adhikar party candidate to remove his name from the election

                                                       महोबा कुलपहाड़ तहसील की फोटो जिसकी दीवारों का रंग गुलाबी है

उन्होंने बताया, कोतवाली कुलपहाड़ से वह 27 अप्रैल को तहसील आये थे। 28 अप्रैल को उन्हें चुनाव चिन्ह मिलने वाला था। कहा, “पार्टी का इतना दबाव आ रहा है कि पर्चा वापस ले लो, इसलिए मुझे लगता है कि अब कहां जाऊं। इतनी बात करके तहसील से बाहर हो गया।”

कुछ देर बाद काले रंग की 8 से 10 गाड़ियां बड़े बाबू के पीछे लग गयीं। लोगों ने अपनी पहचान छुपाते हुए यह बात कही।

कुलपहाड़ एसडीएम अरुण दीक्षित से बात करने की कोशिश की गयी तो वह कान से फोन चिपकाये निकल गए।

ऐसे में व्यक्ति के चुनाव लड़ने के अधिकार व उसकी सुरक्षा को लेकर काफी सवाल उठाया गया। साथ ही, पूरी चुनावी प्रक्रिया में राजनीतिक खेल भी बखूबी देखने को मिला।

इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गयी है। 

ये भी देखें – जानें अगले 5 दिन भारत में कैसा रहेगा मौसम का हाल – मौसम विभाग की रिपोर्ट

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke