खबर लहरिया खेल महोबा : बचपन से था कबड्डी उद्घोषक बनने का सपना

महोबा : बचपन से था कबड्डी उद्घोषक बनने का सपना

महोबा : चरखारी गांव के दिनेश पंचाल साल 1992 से कबड्डी उद्घोषक का काम करते आ रहे हैं। उनका सपना शुरू से ही उद्घोषक बनने का था। 10 सालों तक उन्होंने कब्बडी टूर्नामेंट भी खेला। वह बच्चों को भी कबड्डी का खेल सीखाने की इच्छा रखते हैं।

पूरे साल कबड्डी के कार्य्रक्रम होते हैं जिसमें वह जाते हैं। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा भी अपने कार्य के लिए सम्मानित किया जा चुका है। इसके आलावा उन्हें कई और अवार्ड भी मिले हैं।

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उद्घोषक बनने के पीछे दिनेश की यही सोच है कि जो चीज़ें विलुप्त होती जा रही हैं वह उसे जीवित रख पायें। जब तक वह ज़िंदा है वह उद्घोषक का काम करते रहेंगे। उन्हें बहुत ख़ुशी होती है जब बच्चे उन्हें गुरु जी कहकर पुकारते हैं।

उद्घोषक का काम कई बार हँसाना भी होता है। कई बार गाने की कुछ पंक्तियाँ भी सुना दी जाती हैं जिससे लोग बहुत खुश होते हैं और मज़े के साथ कबड्डी का खेल देखते हैं।

अंत में वह बस यही कहते हैं कि जीवन में खेल-कूद भी बेहद ज़रूरी है। इससे नौकरी में चॉइस भी रहती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

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मैं यही लोगों को बताना चाहता हूं कि बहुत जरूरी ही है खेल कूद और दौड़ आगे जॉब के भी इसमें चांस है ऐसे कई हमारे खिलाड़ी खिलाए हुए फौजी और अन्य विभागों में निकले हुए हैं इसमें स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है

जयपुर ट्रेन गिने जाते हैं तो किसी तरह का उन्हें दिक्कत भी नहीं रहती है यही मेरे लिए बहुत खुशी की बात है कि हमारे ही फैलाए हुए बच्चे कहीं जॉब कर रहे हैं।

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