खबर लहरिया खेती महोबा: चकबंदी में हुई गड़बड़ी, अनशन पर बैठे किसान

महोबा: चकबंदी में हुई गड़बड़ी, अनशन पर बैठे किसान

जिला महोबा, ब्लॉक जैतपुर और पनवाड़ी के किसान कुलपहाड़ तहसील में 1 जुलाई से अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हैं। किसानों ने अभी तक अधिकारीयों की बुद्धि सही करने के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किये और मुंडन भी करवा लिया है लेकिन अधिकारी घरना स्थल तक नहीं पहुंचे।

बुंदेलखंड के संगठन प्रभारी बालादीन का आरोप है कि यहां के भ्रष्ट अधिकारी किसानों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जैसे कि यहां कुलपहाड़ तहसील के कई गांव में चकबंदी हुई है जो किसानों की मूल समस्याएं हैं वह नहीं सुनी गई हैं। किसानों की चकबंदी के दौरान जहां पर किसानों की जमीन थी वहीं पर किसानों को देना चाहिए लेकिन वहां ना देकर दूसरी जगह जंगलों में पहाड़ों में दे दिया है। भ्रष्टाचार मचा हुआ है। और भ्रष्टाचार के खिलाफ किसान धरने पर बैठे हैं। जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होंगी तब तक हम कुलपहाड़ तहसील में बैठे रहेंगे।farmers image by khabar lahariya

दिनेश कुमार किसान संगठन मंत्री युवा मोर्चा इनका आरोप है कि 7 सूत्री मांगों को लेकर वह अनशन पर बैठे हैं और तब तक अनशन में बैठे रहेंगे जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी। ऐसी भीषण गर्मी में रात दिन बराबर अनशन कर रहे हैं लेकिन यहां के भ्रष्ट अधिकारी किसानों की सुध नहीं ले रहे हैं।

रविंद्र कुमार गांव निवाई के रहने वाले हैं उनका बैंक मैनेजर ने किसान मुद्रा लोन में साइन करवा लिया है और पैसे आज तक नहीं दिया है। 2 साल पूरे हो गए हैं इस विषय में हम लोग भी किसान यूनियन के साथ में बैठे हुए हैं।

बुंदेलखंड किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष देवीदीन आरोप है कि किसानों की बहुत सारी समस्याएं हैं उन्हीं बिंदुओं को लेकर हम बैठे हुए हैं। जो मुख्य बिंदु हैं वह 7 बिंदु हैं। जैसे कि चकबंदी में हुई भ्रष्टाचार, बैंकों में हुई भ्रष्टाचार, साथ ही स्वास्थ्य विभागों जैसे हुए भ्रष्टाचार। आखिर किसान करे तो करे क्या? किसान कह कह कर थक गया है। इस बात को लेकर वह लोगों ने एक मीटिंग किया और मीटिंग में सारी समस्याओं को उजागर किया। और उन्हीं विषय में वह लोग अब किसानों की आवाज उठाने के लिए बैठ गए हैं, और यह किसान काली पट्टी बांधकर ही धरना पर बैठे हुए हैं।

तहसीलदार एस एस शर्मा ने बताया है कि यह किसान यूनियन फालतू में बैठे हुए हैं। डीएम साहब की जनसुनवाई मीटिंग भी हुई थी और हर गांव के किसानों को बुलवाया गया था। उसकी चकबंदी की प्रक्रिया अभी चल रहे हैं पूरी तरह से नहीं खत्म हुई है। इस विषय में वह कुछ भी नहीं कर सकते वह बैठे हैं तो बैठे रहे।

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