पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की हड़ताल आज भी जारी है। ये सभी अपनी-अपनी मांगों को लेकर विरोध दर्ज करवा रहे हैं। खासकर ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल से तो आम लोगों के कामकाज भी प्रभावित होने लगे हैं।
पन्ना जिले के पंचायत व ग्रामीण विकास के अधिकारी व कर्मचारी एवं संयुक्त मोर्चा के 18 संघों के सदस्य अपनी लंबित मांगों के निराकरण को लेकर 22 जुलाई 2021 से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हैं। जिससे पूरी तरह से कामकाम ठप हो गया है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ब्लॉक अध्यक्ष भरत मिलन पाण्डेय को राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया है।
भरत मिलन पांडे ब्लॉक अध्यक्ष ने कहा कि वह इन लोगों की मांगों का समर्थन करते हैं। इनकी मांगों को पूरा किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द से जल्द इनका ज्ञापन राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे और इनकी मांगों को पूरा करवाने की कोशिश करेंगे।
क्या हैं मांगें?
सविता ब्लॉक उपाध्यक्ष प्रांतीय महिला स्वयं सहायता समूह महासंघ ने बताया कि कोविड-19 के चलते लगातार दो वर्षों से आंगनबाड़ी में साँझा चुला से जुड़े स्वयं सहायता समूह एवं रसोइयों का कार्य बंद कर दिया गया था।जिसकी वजह से आर्थिक रूप से पूरे प्रदेश भर में लाखों की संख्या में रसोइयाँ एवं समूह के संचालक कमजोर हो गये हैं। इस विपदा की घडी में न कोई रोज्कार मिल रहा न ही सरकार की तरफ से कोई मदद दी जा रही है।इसलिए लोगों की मांग है की उनके मांगों पर गौर किया जाए और लाखों परिवारों की उजड़ती जिन्दगी को बचाया जाए।
मुन्नी सचिव प्रांतीय महिला स्वयं सहायता समूह महासंघ का आरोप है कि महिला बाल विकास द्वारा संचालित साँझा चूल्हा कार्यक्रम में समूहों का सिर्फ शोषण किया जा रहा है।जबकि सरकार द्वारा जो नियमावली जारी की गई थी, उसके एक भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। 2014 में महिला बाल विकास द्वारा सभी साँझा चूल्हा समूहों को 500 रुपया ईंधन और 500 रुपया रसोइयों का पारिश्रमिक देने का आदेश दिया गया था। 2016 में यह नियम लागू भी हुआ लेकिन ग्रामीण क्षेतों में आज तक यह राशि नहीं दी गई।
बारिश के सीजन में सप्ताह भर से जारी संयुक्त मोर्चा की इस हड़ताल का व्यापक असर देखा जा रहा है। एक ओर जहां पंचायत से संबंधित कामकाज ठप्प पड़े है, वहीं रोजगार मूलक निर्माण कार्य भी बंद हैं। इसके आलावा आजीविका मिशन से जुड़ीं ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बुरी तरह प्रभावित है। इसका सीधा दुष्प्रभाव ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं उनके जनजीवन पर पड़ रहा है।
कमल श्रीवास्तव राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन संघ के अध्यक्ष ने बताया कि राज्य शासन के द्वारा संविदा को एक अभिशाप मानते हुये इससे मुक्ति दिलाने के लिए पूर्व में समस्त संविदा कर्मियों को नियमित करने एवं 90 प्रतिशत वेतनमान देने का वादा किया गया था लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार अपने ही वादे को पूरा ना करके वादाखिलाफ़ी कर रही है। इसलिए उन्हें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
प्रकाश जो रोजगार सेवक हैं उनके द्वारा बताया गया कि वह लोग कई सालों से काम में लगे हुए हैं। हर बार यह कह दिया जाता है कि अगली बार से वेतन मिलने लगेगा और पूर्ण रूप से सरकारी कर दिया जाएगा, लेकिन सरकार अपने वादे से मुकर रही हैं जिसके कारण उन्हें बरसात के दिनों में अनिश्चितकालीन हड़ताल करनी पड़ रही है। और जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी यह हड़ताल जारी रहेगी।
ग्रामीणों के काम पर पड़ रहा असर
इस अनिश्चितकालीन हड़ताल से गांव वाले को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गांव वाले आए दिन अपनी समस्याओं को लेकर ब्लॉक आते हैं लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। जिन मजदूरों ने तालाबों में काम किया है मेड बांधने का काम किया है उन गरीबों की मजदूरी रुकी हुई है।
मजदूर की नहीं मिली मजदूरी
मजदूर रामस्वरूप अहिरवार इन्होने इसी महीने में मनरेगा योजना के तहत मेड बंधान में काम किया है इनके पूरे पैसे अभी भी नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि सचिव ने उनको कहा है कि अभी हड़ताल चल रही है इसलिए सारे काम बंद है जैसे ही हड़ताल बंद होती है आपके पैसे खाते में डाल दिए जाएंगे।
इस खबर की रिपोर्टिंग अनीता शाक्या द्वारा की गयी है।
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