महुआ बुंदेलखंड में आजीविका का एक बड़ा साधन बन चुका है। अप्रैल-मई के महीने में बुंदेलखंड में ज़्यादातर गरीब परिवार महुआ बीन कर उसे बेचना शुरू कर देते हैं। महुआ बीनना भी आसान नहीं होता है, जिसने सुबह-सुबह जल्दी पहुँच कर समय पर महुआ बीन लिया उस दिन सिर्फ उसी परिवार के घर पर चूल्हा जल पाता है।
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