गांव में सड़क न होने की वजह से डिलीवरी वाली महिला को चारपाई के सहारे एम्बुलेंस तक लेकर जाया गया। एम्बुलेंस कर्मी द्वारा यह कहते हुए घर तक एम्बुलेंस लाने से मना कर दिया गया कि सड़क इतनी खराब है कि एम्बुलेंस पलटने का भी डर है।
Madhya Pradesh News: बिना सड़क न आती है एम्बुलेंस और न मिलती है स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच – यह वाक्यांश ग्रामीण क्षेत्रों के परिपेक्ष्य की सच्चाई बन चुका है। सत्ता में बैठी सरकार चाहें विकास के कितने भी राग अलाप ले, दयनीय होती परिस्थितियां सामने आने के तरीके निकाल ही लेती है और उसमें पिसते हैं ग्रामीण और उनका स्वास्थ्य।
रिपोर्टिंग में हमने जाना की एमपी के छतरपुर जिले के ग्राम दगौड़ा के गेहरा गांव में सड़क न होने की वजह से डिलीवरी वाली महिला को चारपाई के सहारे एम्बुलेंस तक लेकर जाया गया। यह मामला 30 जुलाई 2023 को सामने आया। जानकारी के अनुसार, महिला को प्रसव पीड़ा हो रही थी जिसके बाद परिवार वालों ने छतरपुर जिले के जिला अस्पताल से 108 नंबर के ज़रिये एम्बुलेंस को कॉल करके बुलाया।
जहां महिला का घर था, वहां तक की सड़क बेहद खराब थी जिसकी वजह से एम्बुलेंस घर से दो किलोमीटर दूर ही रुक गई और परिवार वालों से महिला को वहां तक लाने को कहा गया। एम्बुलेंस कर्मी द्वारा यह कहते हुए घर तक एम्बुलेंस लाने से मना कर दिया गया कि सड़क इतनी खराब है कि एम्बुलेंस पलटने का भी डर है।
ये भी पढ़ें – सरकार के सिस्टम की हकीकत, चारपाई पर ले जाया जाता है मरीज़ को
शिकायत करो तो सुनवाई भी नहीं होती
गांव के बल्लन यादव ने खबर लहरिया को बताया, उनके गांव की सड़क इतनी ज़्यादा खराब है बारिश के समय रास्ता और भी बद्द्तर हो जाता है। यहां तक की 100 नंबर डायल करने पर पुलिस तक नहीं पहुंच पाती। बारिश में कीचड़ होने पर वह लोग भी बड़ी मुश्किल से डिलीवरी महिलाओं को चारपाई पर बैठाकर ले जाते हैं।
कहा, यहां कोई सुनवाई नहीं होती। सड़क के लिए कितनी शिकायतें की, कोई नहीं सुनी गई। यह हमारे गांव का तीसरा मामला है। सरपंच से कहो तो वह कहते हैं कि बजट नहीं आया। सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि बरसात के समय स्कूल तक बंद कर दिए जाते हैं।
ये भी देखें – पितृसत्ता को बढ़ावा देती है बहेलिया समुदाय की ‘अग्नि परीक्षा’ प्रथा
वादे का बजट?
सड़क और स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी को लेकर हमने यहां के विधायक प्रद्युमन लोधी से बात की। उन्होंने कहा कि वहां की सड़क बहुत समय से चर्चे में है। इस बार चुनाव के बाद वहां की सड़क ज़रूर से बनेगी। बजट आते ही सबसे पहला काम वह यही करेंगे।
ये चुनाव के दौरान होने वाले काम और चुनावी वादों से तो अब लोग भी थक चुके हैं और पर ये ज़िम्मेदार कहे जाने वाले अधिकारी नहीं थके। काम न हो पर वादे ज़रूर से होते हैं। अंततः, यही सवाल सामने आता है कि कहां जाए लोग अपनी समस्याओं को लेकर? कौन करेगा उनकी परेशानियों का निवारण?
इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गई है।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’