अकेलेपन की वजह से व्यक्ति अवसाद, मानसिक बीमारी, स्वास्थ्य व दिल से जुड़ी बीमारी, समय से पहले मौत का होना, खुद को चोट पहुंचाना आदि चीज़ों में खुद को जकड़ा हुआ पाता है।
अकेलापन, आज हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा है जहां वह खुद को हमेशा अकेला महसूस करता है। अकेलापन कई बातों, आयामों को खंगालता है। कई बार यह दिखता है, कई बार छिप जाता है। कई बार आप इसे छू सकते हैं तो कभी सिर्फ महसूस कर सकते हैं। व्यक्ति परिवार, दोस्त और उन्हें चाहने वालों के बीच रहकर भी खुद को अकेला महसूस करता है। जिनके पास यह रिश्ते या फिक्रमंद लोग नहीं होते, वह खुद को और भी ज़्यादा अकेला महसूस करता है।
अकेलेपन की वजह से व्यक्ति अवसाद, मानसिक बीमारी, स्वास्थ्य व दिल से जुड़ी बीमारी, समय से पहले मौत का होना, खुद को चोट पहुंचाना आदि चीज़ों में खुद को जकड़ा हुआ पाता है। सामजिक दुनिया उसे काटने को दौड़ती है।
अब, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अकेलेपन को एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरे (Loneliness is a global health threat) के रूप में मान्यता दे दी है। इसके साथ ही समस्या के समाधान के लिए कई पहल भी शुरू की हैं। WHO अकेलेपन को दूर करने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियों को विकसित करने और लागू करने के लिए देशों के साथ भी काम कर रहा है।
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अकेलेपन से जुड़े हैं ये खतरें
डब्ल्यूएचओ ने “Our Epidemic of Loneliness and Isolation”/ अवर एपिडेमिक ऑफ़ लॉनलीनेस एंड आइसोलेशन” शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें कहा गया है कि अकेलापन सिर्फ एक खराब भावना से कहीं अधिक है – यह व्यक्तिगत और सामाजिक स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचाता है। यह हृदय रोग, मनोभ्रंश, स्ट्रोक, अवसाद, चिंता और समय से पहले मौत के अधिक जोखिम से जुड़ा है।”
अकेलापन 15 सिगरेट पीने के समान
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि “सामाजिक रूप से अलग होने का मृत्यु प्रभाव एक दिन में 15 सिगरेट तक पीने से होने वाली मृत्यु के समान है। यह मोटापे और शारीरिक निष्क्रियता से जुड़ी मृत्यु दर से भी अधिक है। समाज में सामाजिक जुड़ाव का अभाव है, उसके हानिकारक परिणाम हमारे स्कूलों में, कार्यस्थल और नागरिक संगठन में महसूस किए जा सकते हैं जहां प्रदर्शन, उत्पादकता और सहभागिता कम हो गई है।”
अकेलापन को दूर करने के लिए WHO करेगा काम
फॉर्च्यून मैगज़ीन के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन सामाजिक संबंध पर एक आयोग शुरू करेगा, “अकेलेपन की महामारी से निपटने के लिए पहली वैश्विक पहल,” जिसके बारे में समूह के महानिदेशक, टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस ने बुधवार को घोषणा की।
घेब्रेयसस ने कहा कि सह-अध्यक्ष अमेरिकी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति और अफ्रीकी संघ आयोग के युवा दूत चिडो मपेम्बा के नेतृत्व में समूह सामाजिक अलगाव और प्रभावी समाधानों के स्वास्थ्य जोखिमों को समझने के लिए काम करेंगे।
यह समझने की ज़रुरत है कि अकेलापन, व्यक्ति की खुद से एक लड़ाई, एक जद्दोजेहद भी बन गई है। जहां वहां रोता है, बिलखता है, दर्द से करहाता है लेकिन उसके साथ उसे कोई सहारा देने वाला, उसका हाथ थाम ये कहने वाला कि ‘सब ठीक हो जाएगा, यह समय भी निकल जाएगा” कोई नहीं होता या लोग उस समय मौजूद नहीं होते।
उस समय व्यक्ति खुद में भी अकेला हो जाता है, खुद से भी दूर कि खुद से भी बात होना बंद हो जाती है। अकेलेपन को किसी भी समस्या या किसी एक भावना के साथ में परिभाषित नहीं किया जा सकता। कई बार अकेलेपन का एहसास भी व्यक्ति का साथ छोड़ देता है और फिर उसके जीवन में क्या हो रहा है, क्या भावनाएं हैं, कुछ उसे छू नहीं पाती। भावनाओं का एहसास न हो पाना, अकेलेपन को और भी ज़्यादा क्रूर बना देता है।
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