लोकसभा चुनाव 2024 हेतु यूपी में भाजपा, सपा, कोंग्रस इत्यादि पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
लोकसभा चुनाव 2024: लोकसभा चुनाव के लिए आपके ज़िले में किस उम्मीदवार को सीट मिली है, वह किस पार्टी से हैं, क्या वह नया चेहरा है या कोई जानामाना नाम है? आप के सवालों का जवाब यहां हैं। यूपी के हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में सांसद कुंवर पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल को एक बार फिर से खड़ा किया गया है।
महोबा से कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल
पुष्पेंद्र सिंह चंदेल भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और बीजेपी पार्टी से सांसद हैं। वह महोबा जिले के रहने वाले हैं। वह दो बार सांसद भी रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर निर्वाचन क्षेत्र से 2014 और 2019 के लोकसभा आम चुनाव भी उन्होंने जीता है। इस बार भी बीजेपी को उम्मीद है कि वही जीतेंगें। यही वजह है कि तीसरी बार भी उन्हें उम्मीदवार के तौर पर चुना गया है। जानकारी के अनुसार, वह 1 सितम्बर 2014 से रेल संबंधी स्थायी समिति, परामर्शदात्री समिति, कृषि मंत्रालय के सदस्य रहे हैं।
गांव में कभी नहीं आए सासंद
मोहबा जिले के गांव के लोगों का कहना है कि पुष्पेंद्र सिंह चंदेल भले सांसद बने हैं पर 5 साल में आज तक हमारे गांव में नहीं आये। जब विकास करने के लिए उन्हें चुना गया है तो वही गांव तक भी नहीं आ रहे हैं। हमारे यहां सुविधाओं की कमी है, सड़कें कच्ची हैं। लोगों का यह भी कहना है कि चुनाव बैलेट पेपर से ही होने चाहिए।
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बांदा-चित्रकूट से आर.के सिंह पटेल
बीजेपी पार्टी ने अपनी पहली सूची में लोकसभा चुनाव के लिए बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट से आरके सिंह पटेल को फिर से उम्मीदवरा के लिए चुना है। बीजेपी ने दूसरी बार आर.के पटेल पर विश्वास जताया है। वह सबसे पहले बसपा (बहुजन समाज पार्टी) में शामिल हुए थे। इसके बाद समाजवादी पार्टी में भी रहे। उन्हें 2017 में बीजेपी की सदस्यता मिली थी। वह इससे पहले विधायक थे, अब सांसद हैं। लगातार दूसरी बार उन्हें यह टिकट मिला है।
बांदा से शिवशंकर सिंह पटेल
शिवशंकर सिंह पटेल, बांदा से सपा प्रतायशी हैं। वह पहले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं। अब शिव शंकर सिंह पटेल ने समाजवादी पार्टी से जुड़कर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। यह कहा जा रहा है, क्योंकि आरके पटेल और शिवशंकर सिंह पटेल दोनों एक ही जाति से हैं तो वोट बंट सकता है। यह अटकलें भी हैं कि इस वजह से भाजपा अपना उम्मीदवार भी बदल सकती है।
बाँदा से चुने गए आरके सिंह पटेल लोगों की पसंद तो हैं ही लेकिन कुछ लोगों का यह भी कहना है कि आरके पटेल की जीत की वजह प्रधानमंत्री मोदी हैं। अगर वो नहीं होते तो शायद ही आरके पटेल जीत पातें।
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