निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को नियंत्रित करने के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। उसे ही ‘आदर्श आचार सहिंता’ कहा जाता है।
लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा हो चुकी है तो अब देशभर में ‘आचार सहिंता’ लागू हो गई है। अब ये `आचार सहिंता` क्या है और लोकसभा चुनाव से इसका क्या सम्बन्ध? तो चलिए जानते हैं आखिर ये ‘आचार सहिंता’ क्या है?
आदर्श ‘आचार सहिंता’ Model Code of Conduct (MCC) क्या है?
निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को नियंत्रित करने के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। उसे ही ‘आदर्श आचार सहिंता’ कहा जाता है। चुनाव के दौरान बिना किसी भेदभाव के या कहें कि निष्पक्ष भाव से अर्थात बिना किसी एक पार्टी का समर्थन के भाव से चुनाव के लिए कुछ नियम बनाए जातें हैं। जो राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए बनाये जाते हैं, इसी आधार पर चुनाव के समय में कुछ नियमों का पालन करना होता है। चुनाव को सफल बनाने के लिए किसी पार्टी का जनता पर दबाव न हो और जनता स्वतंत्र होकर वोट डाल सके इसलिए आदर्श `आचार सहिंता` लगाई जाती है।
आदर्श ‘आचार सहिंता’ का समय
आदर्श आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के दिन से ही लागू कर दी जाती है और यह चुनाव परिणाम होने तक लागू रहती है।
आदर्श ‘आचार सहिंता’ में क्या होता है?
आसान भाषा में समझें तो `आदर्श आचार संहिता` के बाद सड़को पर लगे पार्टियों के बड़े-बड़े होर्डिंग, पोस्टर्स जो की चुनाव प्रचार का हिस्सा होती है उन्हें हटाया जाता है और दीवारों पर चुनाव प्रचार के लिए भी चुनावी नारे लिखे होते हैं उन्हें मिटा दिया जाता है। जैसे लोकसभा चुनाव 2024 की तारीख की घोषणा के बाद ही सड़कों पर लगे पोस्टर हटने शुरू हो गए हैं।
यूपी के महोबा में आचार संहिता लागू होने से दीवारों पर लगे चुनाव प्रचार को पुताई द्वारा हटाया जा रहा है जिसे खबर लहरिया की रिपोर्टर ने वीडियो के माध्यम से दिखाया है।
चुनाव ‘आचार संहिता’ किसी क़ानून का हिस्सा नहीं है हालांकि `आदर्श आचार संहिता` के कुछ प्रावधान आईपीसी की धाराओं और लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 के आधार पर भी लागू होते हैं।
‘आचार संहिता’ के नियम क्या कहते हैं?
-किसी उम्मीदवार या पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिये चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ती है और इसकी जानकारी निकटतम थाने में देनी होती है।
– ‘आचार संहिता लागू होने पर किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं की घोषणा, भूमिपूजन, परियोजनाओं का उद्धघाटन, शिलान्यास से संबंधित कोई भी कार्यकर्म नहीं किए जा सकते हैं।
-कोई भी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के लिए पोस्टर या होर्डिंग नहीं लगा सकते हैं।
-सभी प्रकार के चुनाव प्रचार के चिन्हों को हटाया जाता है।
-कोई भी पार्टी चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का उपयोग नहीं कर सकती।
– ‘आचार संहिता’ में कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर जनता से वोट नहीं मांग सकता।
-किसी के ज़मीन, घर, परिसर की दीवारों पर पार्टी के झंडे, बैनर आदि नहीं लगा सकते।
-वोटिंग के समय ये सुनिश्चित करना होता है कि मतदान केंद्र के पास कोई राजनीतिक दल और उम्मीदवारों के शिविर में किसी प्रकार की भीड़ इकट्ठा न हो।
-मतदान केंद्र साधारण हों और वहां किसी भी तरह की प्रचार सामग्री मौजूद न हो। कोई भी खाने पीने की साम्रगी नहीं दी जाये इसका ध्यान रखना होता है।
– ‘आचार संहिता’ लागू होने के बाद चुनाव आयोग की अनुमति के बिना किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता है।
‘आदर्श आचार सहिंता’ का उल्लंघन करना है अपराध
-मतदाताओं को रिश्वत देना जैसे – पैसे देना, मतदाताओं को शराब देना मना होता है। लोक प्रतिनिधि अधिनियम के 1951 की धारा 123 (1) और भारतीय दंड सहिंता की धारा 171ख के अधीन अपराध है।
-मतदान के दिन और उसके 48 घंटों पहले शराब पिलाना या वितरित करना लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 135 (ग) के अधीन निर्वाचन अपराध है।
-मतदाताओं को डराना-धमकाना लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 135क (ग) के अधीन अपराध है।
-फ़र्ज़ी वोट डलवाना अर्थात किसी और के नाम से वोट डलवाना भारतीय दंड सहिंता की धारा 171घ के अधीन निर्वाचन अपराध है।
-मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने और वापस लाने के लिए वाहन उपलब्ध कराना लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 123 (5) और धारा 133 के अधीन भ्रष्ट आचरण और अपराध है।
-यदि कोई भी व्यक्ति मतदान के दिन, मतदान केन्द्र मे या किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान मे जो मतदान केन्द्र से 100 मी. के भीतर में किसी भी प्रकार का प्रचार जैसे मतदाता को मत देने या न देने के लिये कहता है तो- धारा 130 लोक प्रतिनिधि अधिनियम के तहत दोषी माना जाता है।
लोकसभा चुनाव में ‘आचार संहिता’ लागू कर दी गई है। निर्वाचन आयोग का उद्देश्य इसे लागू करना इसलिए होता है ताकि मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को बिना किसी दबाव के वोट दे सके और वोटिंग के दौरान किसी भी प्रकार की रुकवाट पैदा न हो या कोई धांधली न की जा सके।
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