खबर लहरिया खेती ललितपुर: सब्ज़ी उगाने में लगती है कड़ी मेहनत

ललितपुर: सब्ज़ी उगाने में लगती है कड़ी मेहनत

जिला ललितपुर गांव खिरिया भारन्जू ब्लॉक के प्रजापति समाज के लोगों का कहना है कि वह लोग 6 साल से तकनीकी खेती कर रहे हैं। उन्होंने यह तरीका सागर और टीकमगढ़ से सीखा है।

सागर में उनके फूफा रहते हैं जो की तकीनीकी खेती से ही सब्ज़ियां उगाते हैं। वह कहतें हैं कि पहले वह पाइपलाइन तैयार करते हैं फिर उसमें पन्नी बिछाकर पन्नी में छेद करते हैं। फिर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर एक-एक दाना डालते हैं। 20-25 दिन बाद वह पन्नी के टुकड़े करते हैं और हर जगह एक-एक पौधा लगाते हैं। जैसे टमाटर,करेला आदि के बेल होती है तो उसे बांस के ज़रिए तार लगाकर सहारा देते हैं। इससे सब्ज़ियां नीचे ज़मीन से सटी नहीं रहती और खराब होने से बच जाती हैं।

सबसे पहले लोग सारा बनाते हैं। फिर उसमें बाल वीर चक्र की पन्नी बिछाते हैं। पन्नी बिछाकर उस पर खेती करते हैं। फिर चेक करके उसमें पौधे लगाए जाते हैं। जब पौधे लम्बे होने लगते हैं, जैसे टमाटर का पौधा तो उसे रस्सी से बांधकर दवाई लगाई जाती है। जब उसमें फूल आने लगते हैं तो उसमें कीटनाशक दवाइयां डाली जाती है। कई लोग टमाटर पकने वाली दवा भी डालते हैं। ऐसे ही जब बैंगन और ककड़ी में फूल आने के बाद वह पक जाते हैं तो उनमें भी दवाई डाली जाती है। फिर सब्ज़ियों को तोड़कर मार्किट में बेचा जाता है।

वह कहते हैं कि उनकी सब्ज़ियां टीकमगढ़, ललितपुर, महरौनी, मडावरा, सागर और झांसी आदि दूर-दूर जगहों तक जाती है। ग्राहक ट्रैक्टरों से पिक अप ले जाते हैं और उनकी सब्ज़ियों के अलग से और हट के दाम मिलते हैं। जैसे कि अगर बाजार में ₹20 किलो टमाटर मिलता है तो उनके टमाटर का भाव ₹30 किलो होता है। वह भी ग्राहक हंस करके ले जाते हैं। सब्ज़ियां जल्दी बिक जाती हैं।

एक परिवार ने 5 लाख का कर्ज़ करके सब्ज़ी लगाई है जब पिछली बार उन लोगों ने सब्ज़ी लगाई थी तब फरवरी के महीने में लॉकडाउन लग गया था। लॉकडाउन की वजह से उनकी सारी लागत चली गई थी और उन्हें कुछ फायदा भी नहीं हुआ है। मजदूरी का पैसा भी नहीं निकला था। टमाटर के दाम ₹2 या ₹3 किलो था। इसलिए अब लोग तकनीकी खेती करके लाभ कमाने का प्रयास कर रहे हैं।

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