जिला ललितपुर ब्लॉक मडावरा गाँव गौना की महिलाएं ‘बीड़ी बनाने का काम करती हैं। वह जंगली इलाके में रहती हैं जहां आमतौर पर लोगों का आना-जाना नहीं होता। वह थोड़ी बहुत मज़दूरी करके अपना भरण-पोषण करती हैं। वह एक दिन में 50 रूपये तक की ही बड़ी बना पाती हैं। वह कहती हैं कि इस समय तो 50 रूपये की एक किलो सब्ज़ी आ रही है। इसी वजह से वह लोग बहुत परेशान हैं।
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वह कहती हैं कि उनके गाँव में न तो स्कूल है और न ही कॉलेज की वह अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा पाएं। उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। न ही उन्हें मनरेगा का काम मिलता है। वह कहती हैं कि उनके पास कुछ नहीं है। सिर्फ बड़ी बनाकर ही वह अपने बच्चों का भरण-पोषण करती हैं। बड़ी बनाना उन्होंने अपने परिवार से ही सीखा है। बुज़र्ग लोगों का कहना है कि उन्हें मज़बूरी में यह बनाना पड़ता है। बनात-बनाते हाथ-पैर दर्द करते हैं और आँखे कमज़ोर हो जाती हैं।
बीड़ी बनाना यहां के लोगों की संस्कृति है जो उनके दादा-परदादा के समय से चलती आ रही है। बीड़ी बनाना उनका रोज़गार तो है पर इस बारीकी के काम से वह बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं।
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