अयोध्या जिले में कोरोना काल में ब्लड के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है। सरकारी कर्मचारी, संस्थाएं और जरुरत मंद लोग भी ब्लड डोनेट करने की अपील कर रहे हैं। लॉकडाउन में जब पूरे देश का ध्यान कोरोना मरीजों पर टिका हुआ है, अन्य रोगों से बीमार लोगों की परेशानी बढ़ गई है। अस्पतालों में मरीजों को खून मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो मरीजों के सेवादारों को अपना डोनर लाने के लिए कहा जा रहा है।
अयोध्या नगरी में कोरोना काल का सबसे बुरा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है। ऐसे में ब्लड बैंक कोरोना की मार से अछूते नहीं हैं। एक समय था कि जिस ब्लड बैंक में 300 से 400 यूनिट ब्लड रिजर्व रहते थे। आज उसी ब्लड बैंक में 18 यूनिट ब्लड शेष रह गए हैं। हालात यह है कि मरीजों को ब्लड नहीं मिल पा रहा है। परिजन परेशान हैं बाहर से ब्लड इंतजाम करने की बड़ी मजबूरी उन जरूरतमंदों को हो रही है और अस्पताल प्रशासन सामाजिक संस्थाओं से ब्लड डोनेट करने की अपील कर रहे हैं।
किसी को पत्नी किसी को माँ के लिए है ब्लड की जरुरत
जिला अस्पताल अयोध्या में ब्लड लेने आये राजकुमार राव का कहना है कि वह अपनी पत्नी के लिए ब्लड लेने आये हैं। उनकी पत्नी को दो बोतल खून की जरुरत है लेकिन ब्लड ख़तम हो गया है कहीं मिला नहीं। फैजाबाद नाका निवासी अमित कुमार भी अपनी मां के लिए ब्ल्ड बैंक आये पर उनको भी नहीं मिला।
अयोध्या के जिला पुरुष अस्पताल में बने ब्लड बैंक के बाहर लोग अपने मरीजों के लिए ब्लड लेने के लिए आए हुए हैं। लेकिन यहां पर भी ब्लड की कमी की वजह से उनको ब्लड नहीं उपलब्ध हो पा रहा है। हालात यह है कि जो लोग अपने मरीजों के लिए ब्लड लेने के लिए ब्लड बैंक में खड़े हैं वह फोन के माध्यम से आसपास के लोगों से ब्लड की अपील भी कर रहे हैं। कुछ लोग जिनको जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड नहीं मिल पा रहा है वह बाहर से ब्लड इंतजाम करने में लगे हुए हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास ब्लड डोनर अभी नहीं है और जो ब्लड ग्रुप चाहिए वह उनको प्राप्त नहीं हो पा रहा है।
कोरोना के कारण लोगों में डर
ब्लड बैंक के अंदर जहां पर ब्लड डोनेट किया जाता है वहां ब्लड डोनेट करने वाले लोगों की बड़ी तादाद कोरोना काल से पहले मिलती थी। आज वहां पर सन्नाटा छाया हुआ है। यही नहीं वह स्थान जहां पर ब्लड की जांच होती थी उन मशीनों पर धूल पड़ी हुई है। लेकिन इन सब के पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वह यह है कि कोरोना कॉल में लोग भय वश ब्लड डोनेट करने के लिए नहीं आ रहे हैं।
खून की जरूरत पर, खाली पड़े ब्लड बैंक
जिला अस्पताल में 300 से 400 यूनिट ब्लड हमेशा रिजर्व रहता था। जो जरूरत पड़ने पर लोगों की जान बचाने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा प्रदान किया जाता था। यहां पर स्वयंसेवी संस्थाएं ब्लड डोनेट करने के लिए कैंप लगाया करती थी। जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा भी ब्लड डोनेट करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता था और जगह जगह इनके द्वारा कैंप लगाकर जरूरतमंदों के लिए ब्लड संकलित किया जाता था। स्वयंसेवी संस्थाएं, एनजीओ ब्लड डोनेट करने वाले लोग कोरोना संक्रमण के भय से ब्लड बैंक आने से कतरा रहे हैं। विगत कई महीनों से लोग ब्लड बैंक का कैंप नहीं लगा रहे हैं।
स्वयंसेवी संस्थाओं से ब्लड डोनेट करने की अपील
ब्लड की किल्लत को देखते हुए जिला पुरुष अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर सी वी एन त्रिपाठी ने जिले की स्वयंसेवी संस्थाओं, एनजीओ, ब्लड डोनेट करने वाले लोगों से अपील किया है कि वह ब्लड की किल्लत को देखते हुए ब्लड बैंक में आकर ब्लड डोनेट करें। और यदि जरूरत हुई तो जिला अस्पताल प्रशासन द्वारा कैंप लगाकर भी ब्लड संकलित करने का कार्य किया जा सकता है।
प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर सी वी एन त्रिपाठी का कहना है की सीरियस मरीजों, लावारिस मरीजों और जो शुरू से ब्लड डोनेट करने वाली संस्थाएं हैं उनको ब्लड की जरूरत होती है तो जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से ब्लड उपलब्ध कराया जाता रहा है, लेकिन इस कोरोना काल में ऐसा नहीं हो पा रहा है। ब्लड बैंक में ब्लड की किल्लत की वजह से बहुत से मरीजों को परेशानियां हो रही है। जो लोग ब्लड के बदले ब्लड देते हैं उनको तो ब्लड उपलब्ध हो रहा है। लेकिन अधिकांश ऐसे लोग हैं जिनको ब्लड उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उनकी आम जनमानस से अपील है कि वह मरीजों की जीवन रक्षा के लिए ब्लड डोनेट करें।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए कुमकुम यादव द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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