खबर लहरिया Blog किसान अच्छी फसल के लिए एनपीके खाद व उर्वरकों की सही मात्रा में इस्तेमाल का तरीका जानें

किसान अच्छी फसल के लिए एनपीके खाद व उर्वरकों की सही मात्रा में इस्तेमाल का तरीका जानें

एनपीके खाद और उर्वरकों की सही मात्रा में उपयोग करने का तरीका जाने।

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                                                   साभार – IndiaMART

छत्तरपुर जिले के कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने इस महीने कृषि आदान समीक्षा के दौरान किसानों को संतुलित उर्वरक के उपयोग की सलाह दी। साथ ही किसानों को फसलों की पैदावार के लिए नई तकनीक को अपनाने के लिए भी जागरूक किया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों की हाज़िरी में विपणन संघ, कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, सहकारिता तथा खाद्य विभाग की समीक्षा की।

इसके साथ ही उन्होंने हॉर्टिकल्चर विभाग ( यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें अनाज, फूलों और पौधों को उगाने से लेकर उनकी मार्केटिंग तक का अध्ययन किया जाता है) की समीक्षा करते हुए कहा की लक्ष्य के अनुसार नर्सरीयों की वृद्धि को बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों को पेड़ों को बड़ा करने से लेकर फल लेने तक पूरी जानकारी दी जाए तथा इससे आय कैसे बढ़ती है इसकी जानकारी भी दी जाए। कलेक्टर ने सहकारिता विभाग को पशुपालन, मत्स्य एवं कृषि विभाग से संबंधित कृषकों के किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के निर्देश दिए। इसके आलावा पशुपालन विभाग को जिले में डेयरी एवं दुग्ध उत्पादन की समितियां गठित करने के भी निर्देश दिए।

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निर्धारित दर पर ही खरीदें खाद

कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने कहा कि किसान तय की गयी कीमत पर ही खाद खरीदें। अगर कहीं पर ज़्यादा कीमत पर खाद बेची जा रही है तो उन्हें इस बात की जानकारी दी जाए। उन्होंने कृषि अधिकारी को इसकी लगातार जांच के निर्देश भी दिए। आदेश के अनुसार, जो भी व्यक्ति ज़्यादा कीमत पर खाद बेच रहा है उस पर कार्यवाही कर उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा।

उर्वरकों के लिए तय की गयी कीमतें

– यूरिया की 45 किलोग्राम की बोरी : 266.50 रुपए
– डीएपी 50 किलोग्राम की बोरी : 1200 रुपए
– सिंगल सुपर फास्फेट 50 किलोग्राम की बोरी : 333 रुपए
– पोटाश 50 किलोग्राम की बोरी : 1 हजार रुपए
– एनपीके 50 किलोग्राम की बोरी : 1185 रुपए

यह दर शासकीय एवं प्राइवेट संस्थानों के लिए निर्धारित की गई हैं।

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फसलों की बुआई के लिए इन मात्राओं में करे उर्वरकों का इस्तेमाल

रबी के मौसम में जिले में अमूमन गेहूं ,चना, राई, सरसों, मटर एवं जौ की फसलें उगायी जाती हैं। जिसमें गेहूं की असिंचित बोनी के लिए 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस तथा 20 किलोग्राम पोटाश की ज़रूरत होती है। असिंचित गेहूं ही बुआई का समय 15 अक्टूबर से 31 अक्टूबर होता है। इस अवधि में बुआई तभी संभव है जब सितम्बर के महीने में पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है। इससे भूमि में आवश्यक नमी बनी रहती हैं।

वहीं सिंचित गेहूं के लिए 100 -120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश चना की ज़रूरत होती है। दलहनी फसलों के लिए 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर की आवश्यकता होती है। दलहनी फसलों में अरहर,चना,मटर,मसूर और सोयाबीन आदि को शामिल किया जाता है।

तिलहनी फसलों जैसे अलसी, सरसों, राई के लिए 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 30 किलोग्राम पोटाश एवं 20 किलोग्राम सल्फर की आवश्यकता होती है। तिलहन उन फसलों को कहते हैं जिनसे वनस्पति तेल का उत्पादन होता है। जिसमें महत्वपूर्ण हैं तिल, सरसों, मूँगफली, सोया और सूरजमुखी।

डीएपी खाद की जगह करें एनपीके खाद का इस्तेमाल

एनपीके (NPK) उर्वरक में नाईट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम तीनों जरूरी पोषक तत्व होते हैं। यह दानेदार उर्वरक होता है। किसान डीएपी के स्थान पर एनपीके खाद का भी उपयोग कर सकतें हैं। यह मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने में बेहतर काम करती है। आपको बता दें, डीएपी खाद को डाइअमोनियम फॉस्फेट के नाम से जाना जाता है। डीएपी खाद का इस्तेमाल किसान द्वारा किसी फसल के बुवाई के समय किया जाता है, जो खेत के उर्वरक शक्ति को बढ़ाने में काम आता है। इसमें 18% नाईट्रोजन और 46% फास्फोरस होता है, साथ ही इस 18% नाईट्रोजन में 15.5% अमोनियम नाईट्रेट और 46% फास्फोरस में 39.5% फास्फोरस पानी में घुलनशील होता है।

यह भी कहा गया कि किसानों को डीएपी की जगह एनपीके की 12-32-16 की 3 बोरी बुवाई के समय, चना एवं दलहनी फसलों में डीएपी जगह पर 2 बोरी एनपीके खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही यह कहा गया कि उर्वरकों के सही इस्तेमाल से उर्वरकों के प्रयोग में लगने वाले श्रमिकों तथा कीमत में कमी होगी। इसके साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग से उत्पादन में भी वृद्धि हो सकेगी। सभी किसानों से अपील की गयी की वह बतायी गयी उर्वरकों की मात्रा का इस्तेमाल करें और उर्वरकों की रसीद को भी सुरक्षित करके रखें।

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