International News : मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने हाल ही में अलर्ट ज़ारी किया है। यह अलर्ट नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को ज़ारी किया गया है।
कोरोना के बाद अब विश्वभर में मंकीपॉक्स के काफ़ी मामले सामने आ रहे हैं। अभी तक 15 देशो में मंकीपॉक्स में मामले रिकॉर्ड किये गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अभी तक मंकीपॉक्स के विश्वभर में 100 केस दर्ज़ किये गए हैं।
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इन देशों में फैल चुका है मंकीपॉक्स
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मंकीपॉक्स के सबसे ज़्यादा मामले यूरोप में पाए गए हैं। हालांकि, दूसरे देशों में भी यह बीमारी फैल रही है। 15 दिनों में 15 देशों में इस बीमारी ने अपना फैलाव कर लिया है। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, स्वीडन, स्पेन, पुर्तगाल, ऑस्ट्रलिया, जर्मनी, इजरायल, कनाडा, नीदरलैंड्स, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।
फाइनेंसियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार, 23 मई को यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने बताया कि उन्हें 36 और अन्य मंकीपॉक्स के मामलों के बारे में पता चला है। जिसके बाद इंग्लैंड में 7 मई तक मंकीपॉक्स की कुल संख्या 56 हो गयी है जो किसी भी देश द्वारा दर्ज़ किये गए मामलों से सबसे ज़्यादा है।
कुछ सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां जिसमें यूके और बेल्जियम भी शामिल है, कहा कि जो लोग संक्रमित हैं व जो लोग उनके सम्पर्क में आये हैं वह लोग तीन हफ्ते के लिए खुद को आइसोलेट या क्वारंटाइन कर ले। इसके अलावा सरकार चेचक की दवाइयों को स्टॉक कर रही है जो मंकीपॉक्स से भी बचाने में काम आती है।
फ़िलहाल, मंकीपॉक्स से अभी तक किसी की भी मौत होने की खबर सामने नहीं आयी है।
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क्या है मंकीपॉक्स?
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है जो चेचक (chicken pox) की तरह होता है। चेचक की तरह ही इसके लक्षण भी हल्के ही होते हैं। यह वायरस का एक जीनस है जिसमें वेरियोला वायरस भी शामिल है, जिसके चलते चेचक होता है। इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल चेचक के टीके में किया गया था।
मंकीपॉक्स एक जूनोसिस है
मंकीपॉक्स एक जूनोसिस (zoonosis) है। इसका मतलब यह है कि यह एक ऐसी बीमारी है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसका संक्रमण दर 3.3 फीसदी से 30 फीसदी तक माना गया है। लेकिन, हाल ही में कांगो में यह रेट 73 फीसदी था।
मंकीपॉक्स के ज़्यादा मामले कहां पाए जाते हैं?
मंकीपॉक्स के मामले अधिकतर उष्णकटिबंधीय वर्षावनों (ट्रॉपिकल रेनफॉरेस्ट) के करीब पाए जाते हैं जहां ऐसे जानवर पाए जाते हैं जो इस वायरस के वाहक होते हैं। गिलहरियों, गैम्बियन शिकार चूहों, डॉर्मिस, बंदरों की विभिन्न प्रजातियों और अन्य जानवरों में मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण पाए गए हैं।
सबसे पहले कब पाया गया मंकीपॉक्स ?
आम तौर पर मध्य और पश्चिम अफ्रीका के दूर-दराज़ के हिस्सों में होने वाला यह वायरस पहली बार 1958 में बंदरों में पाया गया था। इंसानों में पहली बार यह मामला 1970 में दर्ज किया गया था।
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कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स तब फैलता है जब कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के सम्पर्क में आता है। यह वायरस त्वचा, सांस लेने की नली या आंख, नाक और मुंह के ज़रिये शरीर में प्रवेश करती है। मनुष्य से मनुष्य में यह आमतौर पर रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स के ज़रिये फैलती है। जानवरों से यह इंसानों में काटने या खरोंचने के ज़रिये फैल सकता है। मंकीपॉक्स को आमतौर पर सेक्सुअली (संभोग) फैलने वाला रोग नहीं माना जाता है, हालांकि सेक्स के दौरान यह एक इंसान से दूसरे में फैल सकता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स में शुरुआत में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजन और पीठ दर्द शामिल हैं। मरीजों में आमतौर पर बुखार आने के एक से तीन दिन बाद दाने निकल आते हैं। यह अक्सर चेहरे से शुरू होता है और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है। जैसे हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में। दाने में खुजली भी होती है। संक्रमण आमतौर पर दो से चार हफ्ते तक रहता है और आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है।
क्या है मंकीपॉक्स का इलाज?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) द्वारा वायरल डीएनए का पता लगाना मंकीपॉक्स के लिए सबसे बेहतरीन टेस्ट माना गया है। एंटीजन और एंटीबॉडी के तरीके ऑर्थोपॉक्सवायरस के बीच अंतर कर पाने में उपयोगी शामिल नहीं होते।
मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई प्रमाणित और सुरक्षित इलाज नहीं है। जिन्हें वायरस होने का संदेह है उन्हें एक अलग कमरे में रखा जाता है व स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उन पर निगरानी की जाती है। वहीं चेचक के टीके वायरस के प्रसार को रोकने में काफी हद तक प्रभावी साबित हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, चेचक के इलाज के लिए विकसित एक एंटीवायरल एजेंट को भी मंकीपॉक्स के इलाज के लिए लाइसेंस दिया गया है।
मंकीपॉक्स को लेकर भारत की तैयारी
दुनिया में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने हाल ही में अलर्ट ज़ारी किया है। यह अलर्ट नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को ज़ारी किया गया है। निर्देश दिए गए हैं कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट किया जाए। साथ ही सैंपल को जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में भेजा जाए। आपको बता दें, मुंबई के नगर निकाय ने यहां के कस्तूरबा अस्पताल में संदिग्ध मरीजों को आइसोलेट की व्यवस्था के तहत 28 बिस्तरों वाला एक वॉर्ड तैयार रखा है।
मंकीपॉक्स पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी
मंकीपॉक्स पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि किसी भी देश में इस बीमारी का अगर एक भी केस मिलता है तो उसे आउटब्रेक माना जाएगा।
भारत में हालाँकि, मंकीपॉक्स का कोई मामला दर्ज़ नहीं किया गया है फिर भी लोगों को सरकार द्वारा अलर्ट रहने का सुझाव दिया गया है।
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