जब हम किसी जलप्रपात (कुंड) घूमने की जगह या खाने की बात करते हैं तो मुझे सबसे पहले बिहार याद आता आता है और देखो न आज मैं बिहार के बारे में कुछ लिखने का सोच ही रही थी कि याद आया कि आज तो बिहार का खास छठ पर्व है। और जहाँ तक मुझे लगता है कि बिहार और बिहारी शब्द किसी से अपरिचित नहीं हैं। बिहार वो राज्य है जिसे प्राचीन काल में मगध के नाम से जाना जाता था और इसकी राजधानी पटना को पाटलिपुत्र के नाम से। माना यह जाता है कि बिहार शब्द की उत्पत्ति बौद्ध विहारों के विहार शब्द से हुई जिसे बाद में बिहार कर दिया गया।
ये भी देखें – अगर आपको बिहार की सैर करना हो तो इस जगह पर जरूर आये (टॉप 5 )
बिहार का इतिहास
बिहार का इतिहास उतना ही पुराना है जितना भारत। यहां मौर्य, गुप्त आदि राजवंशो ने, मुगल शासकों ने राज किया। 99 हजार 200 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला बिहार उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड से घिरा हुआ है। यह तो हो गई बिहार की जीवनी। पर हल्की ठण्ड और हल्की धूप में अक्सर मन होता है कोई ऐसी जगह समय बिताएं जहाँ हरियाली भी हो और सुकून भी। तो क्यों न आज हम तेलहर कुंड की सैर करें? आइये चलते हैं।
दुर्गम पहाड़ियों से घिरा हुआ है तेलहर कुंड
बिहार का तेलहर कुंड जो कैमूर जिले में भभुआ औधोरा मार्ग पर स्थित है। इस झरने की खास बात यह है कि, इसका पानी हमेशा ठंडा रहता है, साल के हर समय झरने का पानी बेहद शीतल होता है। 80 मीटर की ऊंचाई से गिरते हुए इस झरने की खूबसूरती, चारों ओर की हरियाली, पंछियों की चिलचिलाहट और प्राकृतिक सुन्दरता आने वाले पर्यटकों को मोहित कर लेती है। यह स्थान पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। तेलहर कुंड चारों तरफ से हरा भरा है जिसे लोग बिहार का स्वर्ग भी कहते हैं।
जलप्रपात भभुआ क्षेत्र से लगभग 32 किमी और मोहनिया क्षेत्र से लगभग 47 किमी दूर है। झरने के पास कई आकर्षण हैं जिनमें मां मुंडेश्वरी मंदिर भी शामिल है। यह क्षेत्र के सबसे पुराने और सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस झरने में एक बांध भी है जिसे करमचट बांध कहा जाता है जो इसके पास स्थित है यह चारों तरफ से अद्भुत दृश्यों से घिरा हुआ है। वैसे तो बिहार में काफी झरने हैं लेकिन इस झरने की खूबसूरती यहाँ तक खींच ही लाती है। यह झरना तेलहर कुंड झील में जाकर समाप्त होता हो है जो कि पर्यटकों के आने और डुबकी लगाने के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।
अनोखा है मां मुंडेश्वरी मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में शुमार यह मंदिर कैमूर पठार की मुंडेश्वरी पहाड़ियों पर 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह 1915
से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक है। कहा जाता है कि चंड-मुंड के वध के लिए देवी यहाँ आई थी और तभी से इस मंदिर का नाम मां मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है। पहाड़ी पर बिखरे हुए पत्थर और स्तम्भ आपको दिख जायेंगे जिनपर यहाँ के बारे में भी लिखा गया है।
ऐसे पहुंचे मां मुंडेश्वरी मंदिर
मंदिर पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भभुआ रोड है। मंदिर स्टेशन से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर है। मंदिर तक पहुँचने के लिए कार, जीप या बाइक से भी पहुंचा जा सकता है। तो जाइए लीजिए तेलहर की प्राकृतिक खूबसूरती का मज़ा। और हाँ कोरोना अभी पूरी तरह से गया नहीं है तो कोरोना प्रोटोकॉल का पालन जरुर करें, क्योंकि स्वस्थ रहेंगे तभी तो प्राकृतिक खूबसूरती का मजा ले पायेंगे।
ये भी देखें – बिहार के मशहूर पांच झरने
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)