अगर आप घुमने के शौक़ीन हैं तो कीजिए बिहार के बराबर गुफाओं की सैर। बराबर गुफाओं की खूबसूरती देख आपके कदम वहां ठहरने को मजबूर हो जायेंगे।
भारत में घूमने लायक एक से बढ़कर एक ऐसी जगहे हैं, जो अपनी खूबसूरती से लोगों का मन मोह लेती हैं। चूंकि भारत का इतिहास बेहद ही समृद्ध रहा है, इसलिए यहां घूमने लायक एतिहासिक जगहों की भी कोई कमी नहीं है, चाहे एतिहासिक इमारतें हों, महल, किले, मंदिर या गुफाएं ही क्यों न हों। यहां एक से एक प्राचीन गुफाएं हैं, जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है। इन गुफाओं में आकर आपको ऐसा लगेगा, जैसे किसी और दुनिया में आ गए हों। इन जगहों पर बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं, क्योंकि यहां भारत के प्राचीन इतिहास को बिल्कुल करीब से देखने का मौका मिलता है। अगर आप इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं तो देश में मौजूद प्राचीन गुफाओं की सैर जरुर करनी चाहिए तो बिना देर किये चलिए चलते हैं बिहार में स्थित बराबर गुफा की सैर करने।
बराबर की गुफाएं बिहार की महत्वपूर्ण विरासतों में से एक हैं। यह भारत के बिहार राज्य के जहानाबाद जिले में गया से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुफाएँ हैं और चट्टानों को काटकर बनायी गयी सबसे पुरानी गुफाएं हैं। इनमें से अधिकांश गुफाओं का संबंध मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व) से है और कुछ में अशोक के शिलालेखों को देखा जा सकता है।
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ग्रेनाइट चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं आकर्षक गुफाएं
बराबर गुफाएं, चार मुख्य गुफाओं का एक समूह है, जो बराबर पहाड़ियों पर स्थित है। चट्टानों को काट कर बनाई गई यह प्राचीन गुफ़ा हमें सीधे मौर्य वंश के काल में ले जाती है। वैसे तो यहाँ की लगभग सारी गुफाएं बौद्धिक गुफ़ाएँ हैं पर आप यहाँ जैन और हिन्दू धर्म से भी जुड़ी कई मूर्तियां देख सकते हैं। बराबर पहाड़ी पर मुख्यतः 4 गुफ़ाएँ हैं, लोमस ऋषि गुफ़ा, सुदामा गुफ़ा, करण चौपर और विश्व जोपरी। यहाँ बनी सारी गुफ़ाओं को विशाल ग्रेनाइट चट्टानों को काटकर बनाया गया है।
जब आप इन गुफाओं की दीवारों पर हाथ फेरते हैं, तो लगता है जैसे उन्हें कल ही पॉलिश किया गया हो। यह पॉलिश एकदम नयी सी लगती है। इसे देखकर आपके लिए यह मानना कि, ये गुफाएँ 2400 साल पुरानी हैं, थोड़ा मुश्किल सा हो जाता है। जब आप इन गुफाओं के गोलाकार चैत्य भाग को देखते हैं तो आप इसी सोच में पड़ जाते हैं, कि इन गुफाओं के कारीगरों ने इतनी बड़ी चट्टान को काटकर, उसे तराशकर इतना अच्छा और सुंदर गुबंद न जाने कैसे बनाया होगा।
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बराबर गुफ़ाओं की कुछ दिलचस्प बातें
इन गुफाओं की एक अन्य दिलचप विशेषता है, यहाँ की दीवारें! जी हाँ, गुफ़ा की अंदरूनी दीवारें चिकनी और पॉलिश की हुई हैं। शायद इसलिए भी इस गुफ़ा ने अपनी वही पुरानी चमक अब तक खोई नहीं है। बराबर
गुफ़ाओं का निर्माण कार्य सम्राट अशोक के शासनकाल के समय में हमें ले जाता है। इसलिए आप सम्राट अशोक से जुड़े कई शिलालेख भी यहाँ पाएंगे। बराबर गुफ़ा के पास एक और अन्य गुफ़ा भी स्थित है, नागार्जुनी गुफ़ा जो बराबर गुफ़ा से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दोनों ही गुफाएं एक ही समय की हैं इसलिए इन्हें एक साथ सतघर के रूप में जाना जाता है।
बराबर शृंखला की सबसे ऊंची चोटी पर है सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर। हजारों साल पुराने इस शिव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए सालों भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सावन में तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां मगध के महान सम्राट अशोक के समय के शिलालेख आज भी उस साम्राज्य की गाथा अपने अंदर सहेजे हुए हैं। यही कारण है कि इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह पसंदीदा जगह है। बराबर न केवल पहाड़ और जंगल के लिए प्रसिद्ध है बल्कि औषधीय पौधे और लौह अयस्क के भी यहां भंडार हैं।
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सातवीं सदी में बनाया गया था बाबा सिद्धनाथ का मंदिर
बराबर पहाड़ पर मौजूद बाबा सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में राजगीर के महान राजा जरासंध द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। यहां से गुप्त मार्ग राजगीर किले तक पहुंचा था। इस रास्ते से राजा पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर में आते थे। पहाड़ी के नीचे विशाल जलाशय पातालगंगा में स्नान कर मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती थी।
कैसे पहुंचें
बराबर गुफाओं की सैर करने के लिए पटना से सड़क के जरिये यहां तीन से चार घंटे में पहुंच सकते हैं। पटना- गया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 83 से होते हुए मखदुमपुर में जमुना नदी के पुल को पार करने पर पूरब की ओर सड़क जाती है, जो सीधे पर्यटक स्थल बराबर तक पहुंचती है। ट्रेन से आने वाले लोग बराबर हाल्ट पर उतर कर सवारी गाड़ी के माध्यम से भी यहां पहुंच सकते हैं।
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