करवा चौथ अब सिर्फ सुहागिनों का त्योहार नहीं रहा, ये टीवी सीरियल्स और विज्ञापनों का पॉप-कल्चर बन चुका है। जहाँ स्क्रीन पर बहू व्रत रखती है तो पति मौत के मुँह से लौट आता है, वहीं असल ज़िंदगी में महिलाएं भूखी-प्यासी रहकर सजधज कर पति का इंतज़ार करती हैं — और पति मोबाइल पर स्कोर देख रहा होता है! अब सवाल ये है — क्या एक दिन का व्रत बराबरी ला सकता है? क्या बराबरी का मतलब सिर्फ एक दिन भूखे रहना है या हर दिन सम्मान और साझेदारी में जीना है? देखिए इस वीडियो में करवा चौथ की असल कहानी — परंपरा, पाखंड और पॉप-कल्चर के बीच फंसा त्योहार।
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