पुलिस ने 39 लोगों के खिलाफ हत्या को लेकर प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज़ की है। इसमें उप -विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम), लेखपाल (राजस्व अधिकारी) और स्थानीय पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस अधिकारी शामिल हैं।
यूपी के कानपुर देहात के मडौली गांव (Madauli village) में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान 13 फरवरी, सोमवार को माँ-बेटी की जलकर मौत हो गयी। रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि वह जलकर नहीं मरे बल्कि उनकी हत्या हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 14 फरवरी, मंगलवार को पुलिस ने 39 लोगों के खिलाफ हत्या को लेकर प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज़ की है। इसमें उप -विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम), लेखपाल (राजस्व अधिकारी) और स्थानीय पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस अधिकारी शामिल हैं।
इसके आलावा पुलिस ने दो लोगों, लेखपाल अशोक सिंह और बुलडोज़र के चालक दीपक को गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें, घटना में मौत हुई माँ-बेटी का अंतिम संस्कार आज कानपुर के बिठूर घाट पर किया जाएगा।
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अधिकारियों पर घर में आग लगाने का आरोप
जानकारी के अनुसार, मृतिका की परिवार की महिलाओं ने आरोप लगाते हुए कहा, अधिकारियों ने सोमवार को उनके फूस के घर में आग लगा दी थी जिसमें प्रमिला दीक्षित व उनकी बेटी नेहा की जलकर मौत हो गयी।
वहीं प्रशासन ने सभी आरोपों से इंकार करते हुए दावा किया कि दोनों महिलाओं ने घर के अंदर से ताला लगाकर अपने घर में आग लगाई थी।
दी क्विंट की रिपोर्ट में मृतिका के बेटे शिवम दीक्षित ने कहा, “सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), लेखपाल और अन्य लोगों ने घर में आग लगाई। हम अंदर थे। मेरे पिता और मैं किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहे। मेरी मां और बहन की जलकर मौत हो गई। आग लगने के बाद अधिकारी मौके से भाग गए।”
मृतिका में पति कृष्णा दीक्षित को इस दौरान चोटे भी आईं, लेकिन उनकी हालत इस समय स्थिर है।
परिवार ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारियों ने झोपड़ी में आग लगाई।
आरोपियों पर इन धाराओं के तहत लिखी गयी एफआईआर
मृतिका प्रमिला के बेटे शिवम द्वारा दर्ज़ की गयी शिकायत पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाकर शरारत करना, आदि), 429 (हत्या कर दुराचार करना) 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), और 34 (आम व्यक्तियों द्वारा किया गया कार्य) के तहत प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज़ की है।
शिकायत में शिवम ने यह भी दावा कि परिवार की 22 बकरियां भी आग में जलकर मर गईं।
एफआईआर में नामजद आठ लोगों में स्थानीय एसएचओ दिनेश कुमार गौतम और गांव के चार लोग- अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल शामिल हैं। इसके अलावा तीन अज्ञात लेखपालों, राजस्व अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी एफआईआर रिपोर्ट दर्ज की गई है।
बता दें, जिला प्रशासन ने एसडीएम (मैथा) ज्ञानेश्वर प्रसाद और लेखपाल सिंह को निलंबित कर दिया है।
परिवार को मिले मुआवज़ा – स्थानीय लोग
जानकारी है कि गांव के लोगों ने अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग करते हुए शवों का पोस्टमॉर्टेम करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने परिवार को मुआवज़े के तौर पर एक करोड़ रूपये, ज़मीन व परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। विरोध को देखते हुए, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने हस्तक्षेप किया और परिवार से वीडियो कॉल के ज़रिये बात की।
कानपुर के मंडलायुक्त राज शेखर ने कहा कि प्रशासन मृतक के परिवार को सुरक्षा के लिए एक पुलिस गनर समेत हर संभव मदद मुहैया करा रहा है।
अधिकारी के अनुसार यह है पूरा मामला
अधिकारी द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, प्रमिला के पति कृष्णा गोपाल दीक्षित द्वारा कथित रूप से अतिक्रमण की गई ग्राम सभा की ज़मीन वापस लेने के लिए अधिकारियों व पुलिस की टीम सोमवार, 13 फरवरी को गांव पहुंची थी। आरोप है कि दीक्षित ने अतिक्रमण की गई ज़मीन पर झोपड़ी बनाई और उसके बाहर एक धार्मिक ढांचा खड़ा कर दिया।
“जब अधिकारियों की टीम और पुलिस अतिक्रमण हटाने में व्यस्त थी, तब प्रमिला झोपड़ी के अंदर गई और घर को अंदर से बंद कर दिया। कुछ देर बाद झोपड़ी से आग की लपटें निकलती दिखाई दी। हमारी टीम ने कृष्ण गोपाल और उनके बेटे शिवम को बचा लिया। उन्हें बचाने की कोशिश में एक पुलिस अधिकारी भी मामूली रूप से झुलस गया।”
मामले में फ़िलहाल बहुत से पहलू अनसुलझे व बेचीदे नज़र आ रहे हैं। पुलिस मामले की जांच में लगी है।
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