इस बार सरकारी केंद्रों में एमएसपी से अधिक मूल्य पर मंडियों में गेहूं बिकने के चलते सरकारी केंद्र खाली पड़े रह गए हैं। प्रदेश के ज़्यादातर गेहूं क्रय केंद्रों पर लक्ष्य की आधी खरीद भी नहीं हो सकी है।
इसका मुख्य कारण निम्न बिंदुएं बताई जा रही हैं:
1. बारिश के कारण किसानों की गेहूं की फसलें ख़राब हो गयीं
2. सरकारी केंद्रों के मुकाबले प्राइवेट केंद्रों पर गेहूं अधिक रेट में बिक रहा है
3. सरकारी केंद्रों से गेहूं खरीद के पैसे बैंक खातों में आने में देरी होती है
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प्रदेश के कई ज़िले इस बार गेहूं खरीद लक्ष्य से काफी पीछे रह गए हैं, कई अन्य प्रदेशों का भी कुछ ऐसा ही हाल है। आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022-23 में 14 मई तक सरकार मात्र 18 मिलियन टन गेहूं ही खरीद पाई है जो एक साल पहले के 36.7 मिलियन टन के आंकड़े से काफी कम है।
सरकार के लिए ये आंकड़ें चिंता का सबब बन सकते हैं, जिसका असर अगले कुछ महीनों में गेहूं की बढ़ती कीमतों के रूप में देखने को मिल सकता है।
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इसी मामले को मद्देनज़र रखते हुए हमने बुंदेलखंड के कुछ किसानों से बात करी और उनकी राय जानी। तो चलिए जानते हैं कि क्या कहना है बुंदेलखंड के किसानों का।
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