हरियाणा के जींद जिले में एक संघीन मामला सामने आया है जिसमें एक घायल बन्दर काफी लम्बे समय से बिजली के खंभे पर बैठा हुआ था। जब लोगों ने उसे देखा तो उन्होंने तुरंत वन विभग को इसकी खबर देनी चाही लेकिन वहां से यह जवाब आया कि अब वह इस तरह के मामलो को नहीं देखते है। बंदरों को या अन्य किसी जानवरों को बचाने की ज़िम्मेदारी अब नगर पालिका परिषद को सौंप दी गयी है।
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लोगों ने कहा कि फॉरेस्ट डिपार्मेंट बंदरों के लिए काम नहीं करता है। आप किसी गायों या फिर अन्य जानवरों के लोगों से बातचीत कीजिए तो हमने गूगल की मदद से बहुत से लोगों से बातचीत की। यहां के लोगों ने भी नंबर ढूंढ़कर बातचीत की लेकिन वहां से भी यही आश्वासन दिया गया, यही बोला गया कि यह हमारा काम नहीं है। लोगों ने खुद ही इस पर एक्शन लिया और बंदर को उतारने की कोशिश की गई।
जब वन विभाग के अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि 1975 के तहत जो वन विभाग में जो बंदर व अन्य जानवर आते हैं वह अभी पिछले महीने यानी कि 15 दिन पहले ही सरकार ने कुछ चेंज किए हैं जिसके कारण अब जो बंदरों का मुद्दा है चाहें उनको चोट लगने का हो या उनको पकड़ने का हो, वह हमारे डिपार्टमेंट के तहत नहीं आता है। उन्होंने इस बातचीत के दौरान बताया कि अगर आपको ऐसा कुछ बंदर को चोट लगना या बंदर आपको दिखाई देते हैं तो आप ग्राम पंचायत और नगर पालिका या नगर निगम के सदस्यों से बात कर सकते हैं। वही इस समस्या को अब आगे से देखेंगे।
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