अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला किसान दिवस 2022 का इस बार का विषय “रूरल वीमेन कल्टिवेटिंग गुड फूड फॉर ऑल” रखा गया है।
देश-विदेश में 15 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला किसान दिवस” मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस साल का विषय ” ग्रामीण महिलाएं सभी के अच्छे भोजन के लिए खेती करती हैं/ रूरल वीमेन कल्टिवेटिंग गुड फूड फॉर ऑल” (Rural Women Cultivating Good Food for All) रखा गया है।
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अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 15 अक्टूबर 2008 को पहला “अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला किसान दिवस” मनाया गया था, जिसके बाद से यह दिवस हर साल मनाया जाने लगा। बता दें, विकासशील देशों में तकरीबन 43 फीसदी महिलाएं कृषि श्रमिक के रूप में कार्य करती हैं व खाद्य क्षेत्र से जुड़ी रहती है।
यह दिन पूरे देश की कृषि संरचना में ग्रामीण महिलाओं के योगदान को पहचान दिलाने के लिए मनाया जाता है जिसमें स्वदेशी महिलाएं भी शामिल हैं। ये महिलाएं ग्रामीण विकास में भी अपना योगदान देती हैं और गाँवो में गरीबी को दूर करने में हिस्सा लेती हैं।
खाद्य प्रणाली का अभिन्न अंग हैं महिलाएं
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ग्रामीण महिलाएं देश की खाद्य प्रणाली का एक अभिन्न अंग हैं क्योंकि भोजन प्रोसेसिंग में भी उनकी हिस्सेदारी होती है। उनके द्वारा दिए जा रहे इतने बड़े योगदान के बावजूद भी उन्हें अपने घर, समाज में असमानता, भेदभाव व हिंसा का सामना करना पड़ता है। उन्हें यहां तक की खाने को पर्याप्त भोजन तक नसीब नहीं होता है जिसका परिणाम यह होता है कि वह कुपोषण जैसी बीमारी का शिकार हो जाती हैं।
वहीं कोरोना महामारी ने महिलाओं की समस्याओं के दायरे को और भी ज़्यादा चौड़ा कर दिया है। आय व भोजन की कम पहुंच के आलावा उन्हें बीमारियों से भी जूझना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र महिला की नई रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण महिलाओं के विकास के लिए खाद्य प्रणाली को फिर से बनाने की ज़रूरत है। इसके लिए सरकार और समाज के नेताओं के बीच बेहतर संचार होना ज़रूरी है।
पूरे इतिहास में हमने ग्रामीण महिलाओं को कभी पेड़ों को काटने से बचाने तो कभी बांधो के निर्माण को रोकते हुए उसके खिलाफ आंदोलन और विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए देखा है।
ग्रामीण महिलाएं विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की चालक हैं। वे न केवल परिवारों बल्कि समाज को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके साथ ही वे सक्रिय रूप से कृषि एवं गैर-कृषि कार्य में भी शामिल होती हैं।
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विकास में ग्रामीण महिलाओं का योगदान
– ग्रामीण महिलाओं और समुदायों की स्थिरता को सुनिश्चित करने, ग्रामीण आजीविका में सुधार और समग्र कल्याण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को तेज़ी से मान्यता दी गयी है।
– महिलाएं अनौपचारिक कार्यों के साथ-साथ कृषि श्रम बल, ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार और घरों के भीतर अवैतनिक देखभाल और घरेलू काम का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।
– वे कृषि उत्पादन, खाद्य सुरक्षा व पोषण, भूमि और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
– ग्रामीण महिलाएं आंदोलनों का नेतृत्व कर रही हैं। अधिक से अधिक कृषि संबंधी दृष्टिकोणों की वकालत कर रही हैं व इसके साथ-साथ फसल विविधता और बेहतर मिट्टी, पानी और कीट प्रबंधन के लिए स्थानोइय रणनीतियां बना रही हैं जो परिवारों के आय और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने में मदद करती है।
इन सब चीज़ों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं गरीबी से पीड़ित हैं, जबकि विश्व स्तर पर गरीबी में अधिक गिरावट देखने को मिली है। दुनिया के एक अरब लोग जो गरीबी की अस्वीकार्य परिस्थितियों में रहते हैं, वह ग्रामीण क्षेत्रों से ही हैं।
संरचनात्मक बाधाएं और भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंड महिलाओं की निर्णय लेने की शक्ति और ग्रामीण परिवारों और समुदायों में राजनीतिक भागीदारी को बाधित करते हैं।
इस आर्टिकल को छत्तीसगढ़ से राजिम द्वारा लिखा व खबर लहरिया द्वारा संपादित किया गया है।
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