9 दिसंबर 2020 का दिन ‘अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है। ताकि लोगों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलायी जा सके। भ्रष्टाचार किसी भी देश को खोखला करने के लिए काफ़ी है। समाज और अर्थव्यवस्था, दोनों को ही आज भ्रष्टाचार की दीमक लग चुकी है। जो धीरे–धीरे देश को अंदर से खाती जा रही है। लोगों की लालसा, स्वार्थ और सत्ता पाने की चाहत, मानव को भ्रष्टाचार की तरफ ढकेलती है।
कब किया गया था प्रस्तावित
31 अक्टूबर, 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस का प्रस्ताव रखा गया था। जिसे 2005 में लागू किया गया। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य बढ़ते भ्रष्टाचार को कम करना है। भ्रष्टाचार सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक घटनाओं में से एक है जिसने दुनिया के सभी देशों को प्रभावित किया है।
इस बार का यह है विषय
इस बार अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस का विषय “यूनाइटेड अगेंस्ट करप्शन“ यानी भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता रखा गया है। ताकि सतत विकास के लक्ष्यों की पूर्ति की जा सके। जिसमें सबसे बड़ी बाधा भ्रष्टाचार है। सतत विकास का अर्थ है जो निरंतर चलता रहता है।
भारत में हुए सबसे बड़े घोटाले के मामले
- 2G स्पेक्ट्रम घोटाला
2G स्पेक्ट्रम घोटाला साल 2008 में सामने आया था। इसमें तकरीबन 1 लाख 76 हजार करोड़ का घोटाला किया गया था। उस समय टेलीकॉम मंत्री रहे ए. राजा ने अलग–अलग कंपनियों को 2 जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस कौड़ियों के दाम में बेचे थे। इसके बाद ए. राजा को मंत्री पद से हटा दिया गया था। इस घोटाले की जांच पीएमओ ( प्रधानमंत्री कार्यालय) तक पहुंची और खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर इस मानल में जवाब दिया था।वहीं डीएमके सांसद कनिमोझी, दयानिधि मारन भी इस घोटाले में फंसे थे। यह घोटाला इतना बड़ा था कि इसमें नेता, मंत्री,उद्योगपति, मीडियाकर्मी आदि सब घेरे में आ गए थे। फरवरी 2012 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पेक्ट्रम घोटाले को “असंवैधानिक और मनमाना” घोषित किया। साथ ही तत्कालीन संचार और आईटी मंत्री ए. राजा द्वारा ज़ारी 122 लाइसेंस को रद्द कर दिया था।
- कोयला घोटाला
कोयला घोटाला 2004 से 2009 के बीच हुआ था। उस समय कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था। नियंत्रक और लेखा परीक्षक ने बताया कि कोयला घोटाला 1 लाख 86 करोड़ रुपयों का था। - चारा घोटाला
1996 में चारा घोटाले की बात सामने आई थी, जिसमें 950 करोड़ रुपयों का घोटाला किया गया था। इसमें बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव को घोटाले में हाथ होने की वजह से पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। इसमें पशुओं के चारा और दवाई के नाम पर करोड़ों रुपये एकत्रित किये गए थे।
- बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स घोटाला 1980 से 1990 के दशक के बीच का है। देश मे रक्षा मामले की खरीद में इसे पहला घोटाला माना जाता है। इसमें तकरीबन 40 मिलयन डॉलर यानी 2 मिलयन 94 करोड़ 63 हज़ार रुपयों ला घोटाला किया गया था। इस दौरान प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी का भी नाम सामने आया था।
हालांकि इस घोटाले में मुख्य आरोपी इटली के बिचौलिए ओत्तावियो क्वात्रोची को बताया गया था। क्वात्रोची को डील में मुख्य आरोपी बनाया गया था लेकिन भारत सरकार उसे कभी भारत लाने में सफल नहीं हो पायी। 13 जून 2014 को इटली के मिलान शहर में क्वात्रोची की मौत हो गयी उसी के साथ बोफोर्स घोटालों के सारे राज़ उसके साथ ही चले गए।
भ्रष्टाचार से जुड़े आंकड़े
एनडीटीवी की सितंबर 28,2020 की रिपोर्ट में केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने बताया कि पिछले पांच सालों में 678 भ्रष्टाचार के मामले ऐसे हैं, जिनकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। साथ ही 25 मामले ऐसे हैं जो कि पांच साल भी पुराने हैं।
6,226 भ्रष्टाचार के मामले ऐसे हैं जो लंबे समय से बिना किसी जांच के पड़े हुए हैं। 182 मामले 20 साल से, 1,599 मामले 10 साल से, 1,883 मामले पांच साल से,1,177 मामले तीन साल से,1,385 मामले तीन साल से कम। यह रिपोर्ट दिसंबर 31, 2019 तक की है।
द हिन्दू की नवंबर 29,2020 की प्रकशित रिपोर्ट में ग्लोबल सिविल सोसाइटी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपने सर्वे में बताया कि भारत मे 39 प्रतिशत लोग घूस लेते हैं। ग्लोबल भ्रष्टाचार सूचकांक 2020 के अनुसार भारत का 180 में से 80वां स्थान है।
भारत अभी भी विकासशील देशों में से एक है। पूर्ण रूप से विकसित ना होने का सबसे बड़ा कारण यहां देश मे बढ़ता भ्रष्टाचार ही है। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नोटबन्दी की घोषणा की थी। जिसमें 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया गया था। यह कहा गया कि इससे काला धन बाहर निकलकर आएगा। लेकिन इसकी जगह सबसे ज़्यादा परेशानी माध्यम परिवार और गरीब लोगों को हुआ।
हालांकि, फरवरी 2019 में वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा यह बताया गया कि नोटबन्दी से अभी तक 1.3 लाख करोड़ काला धन इकट्ठा किया गया है। लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह काला धन किससे और किस क्षेत्र से एकत्रित किया गया है? काला धन किसके पास था? साथ ही इस इकट्ठा किये काले धन का उपयोग कहां किया गया ? साथ ही हज़ारों पड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच अभी तक क्यों नहीं की गयी है?