महंगाई: उज्ज्वला योजना लकड़ी से खाना बनाने पर कर रही मजबूर देखिए द कविता शो :
इस बार के शो में मैं रसोई गैस के बढ़ते दामों पर चर्चा करूगी क्या हुआ उज्ज्वला योजना का 12फरवरी को आधी रात में अचानक से 184.50पैसे रसोई गैस को सरकार ने फिर से मंहगी कर दिया है ,
अब रसोई गैस के दाम 936 रूपये हो गयें हैं इसके पहले रसोई गैस 788 रूपये का मिलता था आम जनता के ऊपर फिर से एक बार महंगाई की मार पड़ी है
आम जनता महंगाई से बुरी तरह टूट चुकी है ज्यादा तर रोजमर्रे के चीजों के दाम बढ़ाने जा रहे हैं गैस के दाम बढ़ा कर तो आम जनता के पेट लात मारी रही है सरकार मंगलवार की रात से लागू हुई नई दर से जिले के गैस उपभोक्ताओं पर लगभग एक लाख रुपये प्रतिदिन का अतिरिक्त बोझ पड़ा है, यानी करीब 30 लाख रुपये हर माह और गैस पर उडे़ंगे।
अब तक यहां 750.50 रुपये में मिलता रहा रसोई गैस सिलिंडर (इंडेन) बृहस्पतिवार से 895 रुपये का हो गया है। जिन्हें सब्सिडी नहीं मिलती, उन्हें इस महंगाई की पूरी मार झेलनी होगी। अलबत्ता सब्सिडी वालों को हल्की चपत लगेगी।
उज्ज्वला योजना ने अँधेरा किया घर
बांदा जिले में लगभग 38 गैस एजेंसियां हैं। इनके माध्यम से तकरीबन 1500 सिलिडर रोजाना खपत होती है। बांदा शहर में पांच एजेंसियों से लगभग 600 सिलिंडरों की रोजाना आपूर्ति होती है।
सरकार ने गरीबों को उज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर बांटे थे सरकार की मंशा थी कि गरीब परिवार भी गैस में खाना बनाये ताकि वो धुआं के प्रदूषण से बच सके सकें लेकिन अचानक से डेढ़ सौ रूपये गैस के दाम बढ़ा कर यह साबित कर दी है कि गरीब भी गरीब नहीं है आखिर जिनके पास में सरकारी नौकरी है या खुद का विजनेस है वो तो किसी तरह से इतना मंहगा सिलेंडर खरीद सकते हैं
लेकिन गरीब आदमी जिसकी कभी कभार ही मजदूरी लगती है वो इतना मंहगा गैस कैसे खरीद पायेगें, क्या सरकार के बाटे गयें गैस सिलेंडर को देख कर खाना बन जायेगा आखिर सरकार कोई भी योजना चलाने के पहले उसका आंकलन क्यों नहीं करती हैं क्यो हर बार आम जनता और गरीबों के साथ में मजाक होता है