सत्ता छोटी हो या बड़ी सत्ताधारियों को स्वतंत्रता की राह आसान होती है। इस समय जो दिखाई और सुनाई दे रहा है वह है नेतागिरी की सत्ता। यह सत्ता इतनी सस्ती और आसान हो गई है कि किसी भी पार्टी, संगठन, संस्था और आन्दोलन में शामिल होकर सत्ता की स्वतन्त्रता हासिल कर सकते हैं। आज का यूथ इसी तरफ बढ़ रहा है। भारत का भविष्य माना जाने वाला यूथ भटक गया है। वह भी सत्ता की स्वतन्त्रता के पीछे भाग रहा है। उसको अपना भविष्य और कैरियर भी सत्ता की स्वतन्त्रता में ही दिख रहा होता है। अगर यूथ ही इस सत्ता में चूर है तो समझा जा सकता है कि देश किधर को जा रहा है।
स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाने वाला हर साल 15 अगस्त का दिन अगर कुछ नया देता है तो वह है सत्ता के बल पर स्वतन्त्रता। स्वतन्त्रता का मतलब है संविधान में दिए गये मौलिक अधिकारों का हक मिलना। ये किसी से छिपा नहीं कि ये हक़ किसको मिल पा रहे हैं। हां वो बात अलग है कि अगर आपके पास सत्ता है तो आप स्वतंत्र हैं मतलब कि सत्ता के बल पर स्वतंत्र हैं। सत्ता की स्वतन्त्रता है तो आपके ऊपर शासन और प्रशासन की भी छत्रछाया साथ साथ होगी और आप बड़ी आसानी से हर तरह से स्वतंत्र रहेंगे। जैसे कि उन्नाव काण्ड जैसे घटना क्यों हो रही है क्योकि सत्ता के बल पर स्वतन्त्रता बनी रही है।
13 साल से लगातार अपनी रिपोर्टिंग के दौरान इस तरह के बहुत सारे उदाहरण मिले। जैसे किसी भी योजना के लाभ को ही ले लीजिए। कितनी ज्यादा खामियां हैं यहां। जिसके पास सत्ता की स्वतंत्रता है वह किसी भी योजना का लाभ ले सकता है अपने दम पर। प्रशासन की किसी भी ड्योढ़ी में एक घन्टे के लिए खड़े हो जाइए अपने आप समझ में आ जाएगा कि सत्ता की स्वतंत्रता कितना मायने रखती है।
कार्यवाही के लिए रोज सैकड़ो लोग अधिकारियों के चक्कर लगाते लगाते थक जाते हैं, बूढ़े हो जाते है लेकिन कार्यवाही के लिए भटकते ही रहते हैं चाहे वह गम्भीर घटना ही क्यों न हो। सत्ता की स्वतन्त्रता में इतना दम होता है कि आपके खिलाफ न्याय के लिए विभागों के चक्कर काटने वाला व्यक्ति भी आरोपी हो जाएगा और आप पाक साफ।
आज हम 71वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारियां कर रहे हैं, वहीं इसमें बहुत कुछ परतंत्र भी है। इतने सालों की आजादी के बाद भी हम वास्तव में आजाद नहीं हुए हैं। कहने को, सुनने को हम आजाद दिख सकते हैं, लोगों के सामने अपनी प्रशंसा दिखाने और प्रशंसा पाने के लिए ऐसा भ्रम भी रच सकते हैं लेकिन यह पूरी तरह सत्य नहीं हैं।
कहने को तो हम स्वतंत्र देश में रहते हैं, हम दर्शाते भी ऐसा ही हैं कि जैसे स्वतंत्र विचारों वाले, खुली सोच वाले, खुले दिल वाले इंसान इस दुनिया में और कोई नहीं है लेकिन हकीकत पर जब हम गौर करें तो नजारा कुछ और ही होता है, कुछ और ही दिखाई देता है। ऐसी स्वतंत्रता दिवस की झूठी बधाई नहीं दी जा सकती। मुझे तो उस दिन का इंतजार है जिस दिन सत्ता के बल पर स्वतन्त्रता नहीं बल्कि स्वतंत्रता के बल पर सत्ता मिल पाएगी।