जिला महोबा ब्लाक जैतपुर गांव सुगिरा तहसील कुलपहाड़ कोतवाली कुलपहाड़ की रहने वाली 16 साल की पुष्पा कहती हैं कि उसने खजूर का मोउर बनाना अपने माता-पिता से सीखा है। यह उनका पुश्तैनी काम है। शादी के समय इसका उपयोग किया जाता है। वह कहती हैं कि जितनी भी शादी उनके यहां होती थी तो उनके पास मोउर बनाने का खूब सारा आर्डर आता था।
लेकिन अब लोगों द्वारा खजूर का मोउर बनावना पहले से बहुत कम हो गया है। अब तरह-तरह के फैशन आ गए हैं तो खजूर के मोउर को कोई नहीं पूछता। सब बना-बनाया खरीद लेते हैं। वह कहती है कि खजूर के मोउर लगाकर गीत भी गाये जाते हैं। साथ ही इसके बिना शादी भी नहीं होती। एक मोउर कीमत पांच सौ से हज़ार तक होती है। एक मोउर बनाने में सुबह से शाम हो जाती है।
मोउर बनाने के लिए सबसे पहले खजूर तोड़कर लाते हैं और फिर एक-एक पत्ते लेकर उसे कटोरी तो कभी चटाई की तरह घुमाकर तैयार करते हैं। यह काम हर कोई नहीं कर सकता। जिसे आता है, सिर्फ वही कर सकता है। लेकिन अब बुंदेलखंड से भी यह संस्कृति खत्म होती जा रही है। कहते हैं कि जब शादी के लिए लड़का सर पर खजूर का मोउर पहनता है तो वह राम और लड़की सीता की तरह प्रतीत होती है। लेकिन अब नए प्रचलन आने की वजह से संस्कृति खोती जा रही है।