जिला बाँदा,ब्लाक तिदवारी,गांव खटिहाकला यहाँ के कुछ पट्टा धारक मछुआरों का आरोप है कि नदियों के जल स्तर पर अवैध खनन होने के कारण मछलियों का आगमन बंद हो जाता है| जिससे उनका बहुत ही नुकसान हो रहा है| खनन कार्य में अड़ंगा लगाना और तस्करी को अंजाम देना एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक संगठित गिरोह इसके पीछे काम कर रहा है, राज्य के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा खनिजों के उत्खनन से आता है।। इससे निपटने के लिए राज्य सरकार को कड़े प्रयास करने होंगे। आश्चर्य की बात है कि घटनाओं की प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद भी सक्षम कार्रवाई नहीं हो रही। कई स्थानों पर राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकायतें भी सामने आती हैं, जिससे असामाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने में बाधा आती है। ऐसे में घालमेल बड़े पैमाने पर है और इससे निबटने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए
मछुआरों का कहना है कि जहां पर उनके पट्टा है वहां से बालू माफिया द्वारा अवैध रूप से कब्जा करके पानी के अंदर से पेड पौधे द्वारा पुल बनाकर बेशक मशीन से खनन किया जा रही है और बालू निकाली जा रही है| अगर वह मना करते हैं,तो बालू माफिया द्वारा जान से मारने कि धमकी दी जा रही है| इस मामले कि शिकायत भी वह पैलानी तहसीलदार से लेकर डीएम तक कर चुके हैं| लेकिन कोई कारवाई नहीं कि जा रही| उन मछुआरों का ये भी खहना है कि बालू माफीया और अधिकारियों के मिलीभगत से अवैध खनन कर जहां पर उनके पट्टे है| वहाँ से बालू निकाली जा रही है और उनकी मछलियों में बडा़ प्रभाव पड रहा है| जिससे उनका धंधा भ चौपट हो रहा है| वह गरीब लोग अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे| इस लिए जब अधिकारियों के चक्कर लगाने से कोई कार्यवाही नहीं हुई तो अब वह लोग मजबूर होकर कारवाई कि मांग के लिए लखनऊ जाएंगे|