खबर लहरिया चुनाव विशेष पार्टी में रहना है तो सिर्फ पार्टी के लिए सोचें ? देखिये ब्यूरो चीफ का राजनीतिक सवाल !

पार्टी में रहना है तो सिर्फ पार्टी के लिए सोचें ? देखिये ब्यूरो चीफ का राजनीतिक सवाल !

पार्टी में रहना है तो सिर्फ पार्टी के लिए सोचें ? देखिये ब्यूरो चीफ का राजनितिक सवाल ! नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ।

मेरे शो राजनीति रस राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। राजनीति अपने लिए नहीं कर सकते सिर्फ और सिर्फ पार्टी के नाम कुर्बान होना होता है। इसका जीता जागता उदाहरण पेश है भारतीय जनता पार्टी के अंदर हटाये गए कार्यकर्ता। क्यों उनको हटाया गया आइये आगे बात करते हैं। जिला पंचायत के लिए प्रत्याशी उतारने वाली बीजेपी पार्टी ने बांदा के कुछ नामी गिरामी लोगों के नाम चुने।

इन नामों की लिस्ट जारी होते ही उन लोगों के चेहरे से हवाइयां उड़ गईं जो सालों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन करें तो करें क्या अगर पार्टी ने पहले ही नाम चयन कर दिया। मन बना चुके कुछ लोगों ने चुनावी जंग में जबरन उतर गए। बीजेपी के सीर्ष नेताओं को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। और सख्त कार्यवाही करते हुए छह साल तक पार्टी से निकाल भी दिया। इस मामले को लेकर मैंने पार्टी से निकाले गए कार्यक्रयाओ बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने इस मामले पर बात न करने का आग्रह किया।

बोले इस वक्त वह किसी भी तरह की बात इस बारे में नहीं करेंगे। मुझे तो पता था कि यही जवाब मिलने वाला है लेकिन क्या करूँ पत्रकारिता के नियम कायदे यही कहते हैं। उनकी बातों से एक अजीब सी उलझन और तड़प थी ऐसे लग रहा था कि बस अब वह कह ही पड़ेंगे कि उन्होंने राजनीति में कदम इसीलिए रखा है ताकि वह आगे चलकर एक अच्छा नेता बन सके। जनता की सेवा के लिए न सही अपनी ही राजनीति चमका सकें लेकिन सबको एक मौके की तलाश होती है। बांदा के भारतीय जनता पार्टी जिलाध्यक्ष रामकेश निषाद द्वारा लिखित एक लेटर पेड में उन सभी कार्यकर्ताओं के नाम भी लिस्ट जारी किए जिसमें 17 कार्यकर्ता शामिल हैं। निकाले गए कार्यकर्ताओं की नजर जब फेसबुक में वायरल की गई लिस्ट पर पड़ी तो उनको बहुत ही बुरा लगा होगा लेकिन अपने से बड़े पद में बैठे लोगों के प्रति विरोध जाने की जहमत नहीं की। यह बड़ी ही बुद्धिमत्ता वाला काम रहा है। भाई उनको भी तो चुनाव लड़ना है।

उनको भी अपनी अच्छी वाली छवि जनता के बीच बनानी है। यह बड़ा सवाल है पार्टी के सीर्ष में बैठे लोगों के लिए की वह छोटे कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने क्यों नहीं देना चाहते? उनकी मेहनत का फल उनको क्यों नहीं मिलने देना चाहते? जिस समाजसेवा के लिए उन्होंने रात दिन एक किया तो उसके लिए चुनाव क्यों नहीं लड़ सकते? सीट की लड़ाई जमीनी स्तर से शुरू कर देना पार्टी को शोभा देती है क्या? साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!