साल 2001 से 2018 तक 18 सालों में पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के तहत कुल 15,48,548 मामले दर्ज किए गए हैं व अकेले 2014 और 2018 के बीच 5,54,481 (35.8 पीसी) मामले थे।
पतियों द्वारा पत्नियों के साथ क्रूरता व उन्हें आग में जलाकर हत्या करने के मामले सामने आते रहे हैं। पितृसत्तात्मक समाज में कुछ पुरुषों को ‘ना’ सुनना गवारा ही नहीं होता, इतना की अगर पत्नी किसी चीज़ के लिए मना कर दे तो उसकी बेहरहमी से हत्या कर दी जाती है। ऐसे कई मामलों में आरोपी का परिवार उसे बचाने के पक्ष खड़ा हुआ नज़र आता है, वहीं दूसरा पक्ष सिर्फ इन्साफ का इंतज़ार करता है।
पितृसत्तात्मक समाज की सुविधाओं में लिप्त कई पुरुष पितृसत्ता का अच्छे से फायदा उठाते हुए क्राइम करते रहते हैं।
ललितपुर जिले के मंडावरा थाने के रनगांव में 25 मई 2023 को प्रेम सिंह ने अपनी पत्नी जसोदा (विद्या) पर मिट्टी का तेल डालकर उसे आग के हवाले कर दिया। वहीं 1 जून 2023 को ग्वालियर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मंडावरा सीएससी के अधीक्षक डॉक्टर अशोक कुमार के अनुसार, सीएससी में ज़्यादा सुविधाएं न होने की वजह से महिला को ग्वालियर अस्पताल रेफर कर दिया गया था। महिला 95 प्रतिशत जल चुकी थी।
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हो रही है जांच
मंडावरा थाने के एसएचओ धर्मेंद्र सिंह ने खबर लहरिया को बताया कि घटना के अगले दिन 26 मई को जसोदा के बयान के आधार पर धारा 326, 307 लगाकर आरोपी पति प्रेम को गिरफ्तार कर लिया गया था। आगे कहा, अभी भी मामले की जांच चल रही है क्योंकि आरोप लगाने से गिरफ़्तारी नहीं होती है।
शामिल आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ नहीं
मृतिका के मायके पक्ष का आरोप है कि पुलिस द्वारा उनकी सुनवाई नहीं की जा रही है। बस आरोपी पति प्रेम को गिरफ्तार कर लिया है। बाकी जो लोग पूरी घटना में शामिल हैं उनके खिलाफ पुलिस रिपोर्ट दर्ज़ नहीं कर रही है। उनके पास किसी भी तरह का स्पोर्ट नहीं है।
कहा, ‘अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होने दिया। हम दूर से ही देखते रहे।’
यहां से शुरू हुआ मामला
हमें मिली जानकारी के अनुसार, 25 मई को जब जसोदा खाना बना चुकी थी तो लगभग 10:30 बजे उसका पति प्रेम घर आया और उससे मछली बनाने को कहा। जसोदा ने मना करते हुए कहा कि वह सुबह बनाएगी। इसी बात को लेकर उसके पति प्रेम ने उसे खूब मारा फिर उसके हाथ-पैर बांधकर और मिट्टी तेल डालकर उसे आग लगा दी।
मोहल्ले के लोगों ने बताया कि वह समझ नहीं पाए कि उसने (आरोपी पाती प्रेम) जसोदा को जला दिया है। उन्हें लगा छप्पर में आग लग गई है।
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मृतिका के साथ की जाती थी मारपीट
जसोदा की माँ तुलसी ने हमें बताया, उनकी बेटी की शादी को 14 साल हुए थे। आरोप के अनुसार, ससुराल वाले उसे शुरू से ही मारा-पीटा करते थे। आये दिन पैसे की मांग करते थे। फरमाइश पूरी न होने पर उसे खूब मारते थे।
दो साल पहले उन्होंने ससुराल में 50 हज़ार रूपये भी भिजवाए थे ताकि उनकी बेटी को सही से रखा जाए लेकिन इसके बाद भी उनकी बेटी के साथ मारपीट की जाती रही और अब उसे बेरहमी से मार डाला।
मृतिका के 10 साल के बेटे का कहना था, उसके पापा (आरोपी) हमेशा उसकी मम्मी को मारा करते थे और दूसरी शादी करने की बात करते थे।
नशे में हुई घटना – आरोपी की माँ
मृतिका की सास हिरिया का कहना था, उनका बेटा (आरोपी प्रेम) रिश्तेदारों के यहां गया था और उन्होंने उसे शराब पिला दी। नशे में उसने इतनी बड़ी घटना कर दी। आगे कहा,’जब प्रेम ने यशोदा को जला दिया, मोहल्ले वालों ने शोर मचाया तब भी मुझे लगा की छप्पर जला है। हम छप्पर की आग बुझाने लगे फिर आवाज़ आई जसोदा की मुझे बचाओ। देखा तो जसोदा पूरी जल चुकी थी। जल्दी-जल्दी एम्बुलेंस बुलाई गई।’
अतः, मामले में मृतिका के बयान के बाद भी कि उसके पति ने उसे जलाया है पुलिस साक्ष्य का हवाला देते हुए जांच रोके हुए है जबकि मृतिका ने खुद बयान दिया है। दूसरी बात यह कि ससुराल वालों व पति द्वारा मृतिका के साथ शुरू से शारीरिक व मानसिक तौर पर हिंसा की जा रही थी जिसके बारे में मृतिका के मायके वालों और बेटे ने भी आरोप लगाया। इस तरह से आरोपी पति प्रेम और उसके पूरे परिवार पर घरेलू हिंसा का मामला भी जुड़ना चाहिए जो रिपोर्ट में और पुलिस की बात में कहीं भी नहीं दिखा।
पति व रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता का डाटा
द प्रिंट की मार्च 2023 की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 2016 से 2021 तक छः साल की अवधि में, भारत में महिलाओं के खिलाफ लगभग 22.8 लाख अपराध दर्ज किए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से लगभग 7 लाख या 30 प्रतिशत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत रिपोर्ट किए गए थे।
धारा 498ए एक महिला के खिलाफ पति या उसके रिश्तेदारों (cruelty by husband or his relatives) द्वारा क्रूरता से संबंधित है। “क्रूरता” को जानबूझकर किये गए काम के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें “महिला को आत्महत्या करने या गंभीर चोट या जीवन, अंग या स्वास्थ्य (चाहे मानसिक या शारीरिक) के लिए खतरा पैदा करने की संभावना हो”।
ट्रिब्यून इंडियन की मार्च 2023 की प्रकाशित रिपोर्ट कहती है, साल 2001 से 2018 तक 18 सालों में पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के तहत कुल 15,48,548 मामले दर्ज किए गए हैं व अकेले 2014 और 2018 के बीच 5,54,481 (35.8 पीसी) मामले थे।
कई कानून और नियमों के बनने के बावजूद इन मामलों में कमी नहीं देखी गई है। वहीं कई बार पुलिस द्वारा भी मामले में तेज़ी न करना और उसे रोके रखने पर इन मामलों में कई महिलाओं को इन्साफ नहीं मिल पाता। यह मामले कानून और उनकी कार्यवाहियों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करने का काम करते हैं।
इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गई है।
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