खबर लहरिया Blog महोबा : दो युवकों ने जान-पहचान का फायदा उठा नाबालिग के साथ किया बलात्कार – आरोप

महोबा : दो युवकों ने जान-पहचान का फायदा उठा नाबालिग के साथ किया बलात्कार – आरोप

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में, बलात्कार के 28,046 मामलों में, मुख्य आरोपी 26,808 यानी 95.6% मामलों में सर्वाइवर के परिचित थे, जिनमें से 9.3% परिवार के करीबी सदस्य और बाकी दोस्त, साथी, पूर्व पति, विस्तारित परिवार के सदस्य, पड़ोसी और साथ में काम करने वाले व्यक्ति थे।

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                                                                                                                       महोबा जिले के कबरई थाने की फोटो

जान-पहचान का फायदा उठाकर, गांव के दो युवकों द्वारा नाबालिग को धोखे से बाहर बुलाकर बलात्कार करने के आरोप का मामला सामना आया है। मामला 2 जून 2023, महोबा जिले के कबरई थाना क्षेत्र के एक गांव का है। नाबालिग की उम्र 17 वर्ष बताई गई है।

थाना प्रभारी वीरेंद्र प्रताप सिंह ने खबर लहरिया को बताया कि आज नाबालिग को 364 के बयान के लिए लेकर जाया गया है व कुछ मेडिकल जांच भी बाकी है। 5 जून को भी नाबालिग का मेडिकल कराया गया है। पूरी जांच होने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा व उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। परिवार ने 3 जून को मामले की रिपोर्ट थाने में दर्ज़ कराई थी।

थाना प्रभारी वीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि नाबालिग के आरोप के अनुसार, गांव के लवलेश (21 साल) व राहुल ( 22 साल) द्वारा उसके साथ बलात्कार किया गया है। आगे बताया, धारा 376 डी, 323, 506, लैंगिक अपराधों, बाल संरक्षण अधिनियम 2012 व 4 पास्को एक्ट के तहत मुकदमा लिख लिया गया है।

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आरोपी दे रहे जान से मारने की धमकी

नाबालिग के अनुसार, “मुझे, मेरे सारे घर वालों को जान से मारने की धमकी दी। दोनों लोग मुझे धमकाते रहे और बारी-बारी रेप किया। उसके बाद छत पर ले जाकर पीछे फेंक दिया दोनों लड़कों ने। मुझे व मेरे परिवार को उन दोनों से जान का खतरा है। इनके खिलाफ कठोर कार्यवाही करें।”

आगे कहा,”अभी-भी धमकियां दे रहें हैं मारने-पीटने की और अपना केस वापस लेने की। अभी कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है।”

आरोपियों ने उठाया जान-पहचान का फायदा

नाबालिग ने अपने पिता को पूरी घटना के बारे में बताते हुए कहा, ‘मैं रात को 12 बजे शौच के लिए गई थी तो मैंने सुना बाहर से कुछ लोगों की आवाज़ आ रही थी। जब मैंने पूछा कि कौन है तो राहुल ने कहा दरवाज़ा खोलो कुछ काम है। पड़ोसी होने के कारण मैंने दरवाज़ा खोला तो राहुल और लवलेश मुझे ज़बरदस्ती उठाकर टेंट वाले मकान में ले गए। वहां पर विरोध करने के बावजूद दोनों लोगों ने मेरे साथ मारपीट कर बारी-बारी गलत काम किया।’

पिता ने बताया घटनाक्रम के बारे में

मामले को लेकर, नाबालिग के पिता ने खबर लहरिया को बताया, बिजली न होने की वजह से वह अपने परिवार के छत पर सो रहे थे। सुबह के लगभग तीन बजे वह शौच के लिए गए और नीचे जाकर देखा तो उनकी बेटी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। आगे कहा, ‘मैंने अपनी पत्नी और बेटों को जगाया और सारे घर में देखा लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दी फिर बाहर निकल कर देखा, वहां भी दिखाई नहीं दी। मैं अपने भाइयों के घर गया, वहां भी नहीं मिली।

जब घर आया तो देखा कि सामने का शिवराज का मकान खुला हुआ है जिसमें टेंट का सामान रहता है और हमेशा ताला लगा रहता है, वह खुला हुआ था। हमें शक हुआ और हमने गेट खुलवाने की कोशिश की लेकिन किसी ने अंदर से गेट नहीं खोला। मैंने मकान के माइलक को फोन करके गेट खुलवाया और अंदर जाकर देखा तो लवकेश और राहुल मौजूद मिले। ज़्यादा शक होने पर हम छत के ऊपर चले गए और छत से झांक कर देखा तो मेरी बेटी दीवार के किनारे ज़मीन पर पड़ी हुई थी। इसी मौके का फायदा उठाकर दोनों भाग गए। जब लड़की को देखा तो मेरी लड़की बेहोश थी। हम उसे उठाकर अपने घर ले गए।’

हिंदुस्तान टाइम्स की अक्टूबर 2021 की प्रकाशित रिपोर्ट कहती है, 16 सितंबर को ज़ारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, देश में साल 2020 में हर दिन बलात्कार के 77 मामले दर्ज किए गए। भारत में अपराध रिकॉर्ड ने लगातार दिखाया है कि अधिकांश बलात्कार सर्वाइवर (survivor) के परिचित व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं। 2020 में, बलात्कार के 28,046 मामलों में, मुख्य आरोपी 26,808 यानी 95.6% मामलों में सर्वाइवर के परिचित थे, जिनमें से 9.3% परिवार के करीबी सदस्य और बाकी दोस्त, साथी, पूर्व पति, विस्तारित परिवार के सदस्य, पड़ोसी और साथ में काम करने वाले व्यक्ति थे।

रिपोर्ट्स भी यही कहती हैं कि बलात्कार के अधिकतर मामलों में दोषी जान-पहचान वाले ही होते हैं। ये आरोपी अमूमन या तो रिश्ता होने की वजह से बच जाते हैं या परिवार समाज और रिश्तों में अपनी लाज बचाने के लिए मामले को दबा देता है। यही वजह होती है कि बलात्कार के अधिकतर मामले दर्ज़ ही नहीं होते।

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