खबर लहरिया ताजा खबरें क्या महिलाओं के लिए ‘घर’ एक सुरक्षित जगह है?

क्या महिलाओं के लिए ‘घर’ एक सुरक्षित जगह है?

साभार: पीक्सेल्स

संयुक्त राष्ट्र के एक नए अध्ययन द्वारा रविवार को बताया गया कि पिछले साल दुनिया भर में आधे से ज्यादा महिलाओं की हत्या के ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ उन्ही के साथी या परिवार के सदस्यों ने उन्हें मार दिया था, जिससे ये पता लगता है कि आज के दौर में घर भी “एक महिला के लिए सबसे खतरनाक जगह” बन गया है।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर जारी आंकड़ों में, ड्रग्स व क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने गणना करके पता लगाया कि 2017 में दुनिया भर में कुल 87,000 महिला हत्याकांड मामले सामने आए हैं, जिसमे से 50,000 – या 58 प्रतिशत – पीड़ितों के परिवार के सदस्यों या उनके सबसे नजदीक रहने वाले लोगों द्वारा ही किये गए थे।

लगभग 30,000, या 34 प्रतिशत उनके निजी यौन सम्बन्ध भागीदारों द्वारा ही किए गए थे। वियना स्थित एक निकाय का कहना है कि, “हर घंटे 8 महिलाएं इसी प्रकार अपने जान-पहचान के लोगों द्वारा ही मार दी जाती हैं।”

यूएनओडीसी के प्रमुख यूरी फेडोतोव ने कहा कि – पूरी दुनिया में लगभग 80 प्रतिशत पुरुष ही इन मामलों में आरोपी माने गए थे, लेकिन महिलाओं को लिंग असमानता, भेदभाव और नकारात्मक रूढ़िवाद के परिणामस्वरूप इन सब की आज भी कीमत चुकानी पड़ती है। उनका ये भी कहना है कि, “निजी यौन सम्बन्ध भागीदारों और परिवार द्वारा ही उन्हें मारने की सबसे अधिक संभावना रहती है, जिसने घर को एक महिला के लिए सबसे खतरनाक जगह बना दिया है।”

“तथ्य यह है कि इस तरह की हिंसा से महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिकतर प्रभावित होती हैं, जोकि घरेलू क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों के बीच के संबंधों में असंतुलन का संकेत भी देता है।” यूएनओडीसी की गणना के अनुसार महिला हत्याकांड पीड़ितों की संख्या में 100,000 महिला आबादी के लगभग 1.3 पीड़ित माने जाते हैं। अध्ययन में पाया गया कि अफ्रीका और अमेरिका ऐसे क्षेत्र हैं जहां निजी यौन सम्बन्ध भागीदारों या परिवार के सदस्यों द्वारा महिलाओं को इस तरह का खतरा बना रहता है।

अफ्रीका में, 100,000 महिला आबादी के प्रति 3.1 पीड़ित देखे गए थे, जबकि अमेरिका में दर 1.6 पीड़ित थे, ओशिनिया में 1.3 और एशिया में 0.9 दर देखा गया है। यूरोप में सबसे कम दर जहाँ 100,000 महिला आबादी के 0.7 पीड़ित ही देखे गए हैं। यूएनओडीसी के मुताबिक, “महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए विकसित कानून और कार्यक्रमों के बावजूद भी इन मामलों के प्रति किसी भी प्रकार का सुधार नहीं देखा गया है।”

यूएनओडीसी ने कहा कि रिपोर्ट के निष्कर्ष “महिलाओं के खिलाफ हिंसा के लिए प्रभावी अपराध रोकथाम और आपराधिक न्याय प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता को उजागर करते हैं,” सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उपायों की आवश्यकता पर बल देते हैं और संभावित दुर्व्यवहारियों को उनके इस दुर्व्यवहार के लिए दोषी करार करते हैं ताकि हर महिला पीड़ित को इन मामलों के प्रति इन्साफ दिलाया जा सके। अध्ययन में पुलिस और न्याय प्रणाली के साथ-साथ स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं के बीच अधिक समन्वय के लिए भी कहा गया है। और यूएनओडीसी ने कहा कि इन समाधानों को पेश करते समय पुरुष वर्ग को शामिल करना भी इसका एक महत्वपूर्ण पहलु था।