नमस्कार दोस्तों, में हूँ मीरा देवी, खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति रस राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। आइये इस शो के माध्यम से चर्चा करें पंचायत चुनाव को लेकर हो रही हलचल की। उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आरक्षण पर 15 मार्च को हाईकोर्ट में सुनावाई हुई। जिस पर सभी की नजरें टिकी थीं। वहीं, चुनाव की तैयारी कर रहे संभावित प्रत्याशियों की बैचेनी भी बढ़ी हुई है। बता दें कि पंचायत चुनाव में आरक्षण सूची के फाइनल प्रकाशन पर रोक लग गई है और इसकी हाईकोर्ट में सुनवाई भी हुई है। हाईकोर्ट में याचिका में कहा गया कि जिला एवं क्षेत्र पंचायत चुनावों में आरक्षण की रोटेशन व्यवस्था के लिए वर्ष 1995 को आधार माना जा रहा है। उसी आधार पर आरक्षण किया जा रहा है। जबकि, राज्य सरकार ने वर्ष 2015 कर दिया था।
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उसी आधार पर पिछले चुनाव में आरक्षण भी किया गया था। कहा गया कि राज्य सरकार को इस वर्ष भी 2015 को बेस वर्ष मानकर आरक्षण को रोटेट करने की प्रक्रिया करना था। हाईकोर्ट में सुनवाई को लेकर पंचायत चुनाव के संभावित प्रत्याशियों की धड़कने तेज हो गई हैं। सभी की नजरें हाईकोर्ट के आदेश पर टिकी हैं। उधर, आरक्षण सूची पर रोक लगने के बाद से गांव-गांव में माहौल बदल गया है।
चुनाव के नाम पर चल रही दावतें भी रूक गई हैं और हाईकोर्ट के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है। कोर्ट के आदेश पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। पंचायत चुनाव में आरक्षण की अंतिम सूची पर कोर्ट की रोक के बाद से गांव में माहौल बदला बदला दिख रहा है। आदेश के बाद जहां गतिविधियां थम सी गई हैं वहीं चर्चाएं तेज हो गई हैं।
सोशल मीडिया से लेकर गांव की चौपाल तक सीटों पर असमंजस की स्थिति नजर आ रही है। अंतिम सूची में रोक लगने से जहां ये दावेदार असमंजस में हैं वहीं सीट आरक्षित होने के बाद लड़ाई से बाहर हो चुके दावेदार गांव में बड़े जोर शोर से कह रहे हैं कि सीट की स्थिति बदल सकती है। इसलिए वह चुनाव लड़ेंगे। सोशल मीडिया पर भी तरह तरह की चर्चाएं हैं।
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यहां ऐसी पोस्ट खूब वायरल हो रही हैं जिनमें सीटों पर आरक्षण बदलने का दावा किया जा रहा है। चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे लोग या यूं कहें कि भावी प्रत्याशी की थमती सांसे, आरक्षण सूची को लेकर हाईकोर्ट का अंतिम आदेश क्या रंग लाएगा? जो होगा बड़ा दिलचस्प होगा। सोशल मीडिया में लोग आरक्षण को लेकर जिस तरह से पोस्ट-पोस्ट खेल रहे थे, एक दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे थे, खासकर अनुसूचित जाति और सामान्य सीट का विश्लेषण कर रहे थे और दावा थोक रहे थे, तो क्या वह पूरा होगा? अगर पूरा हुआ तो उनकी बल्ले बल्ले होगी।
साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!