खबर लहरिया ताजा खबरें सर चढ़ कर बोल रहा पंचायती चुनाव का बुखार, देखिए राजनीति, रस, राय में। पंचायत चुनाव

सर चढ़ कर बोल रहा पंचायती चुनाव का बुखार, देखिए राजनीति, रस, राय में। पंचायत चुनाव

हेलो दोस्तों, मैं हूं मीरा देवी। खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति, रस, राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। साथियों जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है चुनावी राजनीति गरमाती जा रही है। चुनाव के लिए प्रचार प्रसार बहुत पहले से शुरू हो चुका था अब तो चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले लोग घर घर जा रहे हैं। आइए अब बात करें कि इस बार चुनाव की प्रक्रिया किस किस तरह होगी।

यूपी में होने जा रहे पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों, उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के लिए अप्रैल का महीना बहुत अहम रहेगा। यहां से ऑडियो राज्य निर्वाचन आयोग ने ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत, क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्य के चार पदों के मतदान के लिए जिस प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार तैयारी शुरू की है, उसके मुताबिक आगामी 25-26 मार्च को इन चुनावों के लिए अधिसूचना जारी होगी। अधिसूचना जारी होने के बाद अप्रैल की शुरुआत से ही नामांकन दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

यही नहीं 10 अप्रैल को पहले चरण का मतदान करवाने की तैयारी है। इसके बाद दो से तीन दिन के अंतराल पर बचे तीन चरणों का मतदान करवा कर यह प्रक्रिया 23 अप्रैल तक पूरी कर ली जाएगी। चार चरणों में होने वाले इस चुनाव के लिए अप्रैल की शुरुआत से आरम्भ होने वाली नामांकन प्रक्रिया दो दिन नामांकन दाखिले, दो दिन नामांकन पत्रों की जांच, एक दिन नामांकन वापसी, एक दिन चुनाव चिन्ह आवंटन और नामांकन वापसी के बाद से छह से सात दिन चुनाव प्रचार के लिए निर्धारित होंगे।

इस हिसाब से एक चरण के चुनाव में नामांकन दाखिले से लेकर मतदान तक 12 से 13 दिन का समय लगेगा। प्रदेश के 75 जिलों में होने वाले इस चुनाव में प्रत्येक चरण में 18 से 19 जिलों में एक बार में मतदान करवाया जाएगा। इन चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कुल 5.40 लाख मतपेटियों, कुल 52.05 करोड़ मतपत्रों की व्यवस्था की है। आयोग की वोटर लिस्ट में करीब 12.5 करोड़ ग्रामीण मतदाता हैं।

तो ये है चुनाव कराने की तैयारी! लोगों की तैयारी क्या है उसके लिए हमारे चैनल की उन तमाम ख़बरों को देख सकते हैं जो चुनाव लड़ने की तैयारियां कर रहे हैं वह क्या बोल रहे हैं। अब उनको अपने गांव का कौन सा मुद्दा सबसे अहम लग रहा है? किस मद्दे को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं और क्यों बना रहे हैं? इस समय फिर से क्यों पड़ गई इनको गांव के विकास कराने वाली बात करने की जरूरत? क्यों याद आने लगे गांव के फर्जी दादा, चाचा, बड़ी अम्मा, चाची, बड़ी बहन, बड़े भावी यहां तक कि अम्मा भी? साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ।

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