महोबा जिला का गांव गौरहारी को जिला उत्पादन योजना के तहत लिया गया है जिससे गौर हारेगांव गौरव पत्थर के नाम से प्रसिद्ध है जो गौरव पत्थर है वहां के लोग गौरव पत्थर को के कला से गौरव पत्थर के कला से नाम जाना जाता है पर गौरव पत्थर को पहाड़ इस समय बंद है और योजना तो लागू ही कर दी गई है कि वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट के नाम से घोषित है पर उनको उस तरह का लाभ नहीं मिल पा रहा है
इस वजह से लोग पलायन जैसे काम करने के लिए जा रहे हैं
जो कि गौरहारी गांव को रोजगार देने का सरकार दावा कर रही है पर सरकार दावा तो कर रही है कागजों तक ही सीमित है जो वहां के लोगों का कहना है कहते हैं स्कीम तो बहुत अच्छी है पर उस चीज का हम तक लाभ नहीं मिल पा रहा है गौरव पत्थर को लोग तरह-तरह के चीजें बना रहे हैं गौरव पत्थर से मूर्ति जैसे और खिलौना जैसे चीजें बनाई जा रही हैं और हर जगह मेलों में भी उनकी प्रदर्शनी लगाई जा रही है
प्रदर्शनी तो लगाई जा रही है पर आगे क्या होगा कि यह प्रदर्शनी नाम के ही लिए चलेगी या उनको और भी आगे रोजगार का अवसर मिलेगा वहां के लोगों का यह भी आरोप है कि जैसे हम लोग उनका प्रशिक्षण और सामान देने का सरकार ने वादा किया है और प्रशिक्षण भी दिया कुछ लोगों को सम्मान भी दिया पर पत्थर ही नहीं है और दूसरी बात जो प्रशिक्षण मिल रहा है
गांव के नए युवाओं और महिलाओं सहित बुजुर्ग जैसे लोगों को दिया जा रहा है इसमें नाम तो बहुत लिए गए हैं पर उनको बुजुर्गों को भी जोड़ा गया है जो कि वह काम नहीं कर सकते हैं इससे युवाओं को भी जोड़ा जाए और दूसरी बात जो हमारा गौरहारी गांव है तो गौरव पत्थर के शिल्प पर चिन्हित कर दिया गया है 2 साल पहले उसमें दूसरी बात तामा का भी मिलावटी कर दिया गया है
जो इस्तेमा को नहीं होना चाहिए केवल गौरा पत्थर का ही कल होना चाहिए लेकिन यहां के जो बीच के अधिकारियों हैं यह सारे गड़बड़ी कर रहे हैं इस बात को हमने जिले लेवल तक पहुंचाया भी है पर उसकी कोई सुनवाई भी नहीं है वहां के लोगों का कहना है कि यह जो काम हो रहा है तो हमें लग रहा है कि सक्सेज नहीं हो पाएगा